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Stree Kavita : Paksh Aur Pariprekshya—1-E-Book

Author: Rekha Sethi
Edition: 2019, 1st Ed.
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
Special Price ₹224.25 Regular Price ₹299.00
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एक मानवीय इकाई के रूप में स्त्री और पुरुष, दोनों अपने समय व यथार्थ के साझे भोक्ता हैं लेकिन परिस्थितियाँ समान होने पर भी स्त्री-दृष्टि दमन के जिन अनुभवों व मन:स्थितियों से बन रही है, मुक्ति की आकांक्षा जिस तरह करवटें बदल रही है, उसमें यह स्वाभाविक है कि साहित्यिक संरचना तथा आलोचना, दोनों की प्रणालियाँ बदलें। स्त्री-लेखन स्त्री की चिन्तनशील मनीषा के विकास का ही ग्राफ़ है जिससे सामाजिक इतिहास का मानचित्र गढ़ा जाता है और जेंडर तथा साहित्य पर हमारा दिशा-बोध निर्धारित होता है। भारतीय समाज में जाति एवं वर्ग की संरचना जेंडर की अवधारणा और स्त्री-अस्मिता को कई स्तरों पर प्रभावित करती है।

स्त्री-कविता पर केन्द्रित प्रस्तुत अध्ययन जो कि तीन खंडों में संयोजित है, स्त्री-रचनाशीलता को समझने का उपक्रम है, उसका निष्कर्ष नहीं। पहले खंड, 'स्त्री-कविता : पक्ष और परिप्रेक्ष्य' में स्त्री-कविता की प्रस्तावना के साथ-साथ गगन गिल, कात्यायनी, अनामिका, सविता सिंह, नीलेश रघुवंशी, निर्मला पुतुल और सुशीला टाकभौरे पर विस्तृत लेख हैं। एक अर्थ में ये सभी वर्तमान साहित्यिक परिदृश्य में विविध स्त्री-स्वरों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। उनकी कविता में स्त्री-पक्ष के साथ-साथ अन्य सभी पक्षों को आलोचना के केन्द्र में रखा गया है, जिससे स्त्री-कविता का बहुआयामी रूप उभरता है। दूसरा खंड, 'स्त्री-कविता : पहचान और द्वन्द्व' स्त्री-कविता की अवधारणा को लेकर स्त्री-पुरुष रचनाकारों से बातचीत पर आधारित है। इन रचनाकारों की बातों से उनकी कविताओं का मिलान करने पर उनके रचना-जगत को समझने में तो सहायता मिलती ही है, स्त्री-कविता सम्बन्धी उनकी सोच भी स्पष्ट होती है। स्त्री-कविता को लेकर स्त्री-दृष्टि और पुरुष-दृष्टि में जो साम्य और अन्तर है, उसे भी इन साक्षात्कारों में पढ़ा जा सकता है। तीसरा खंड, 'स्त्री-कविता : संचयन' के रूप में प्रस्तावित है...।

इन सारे प्रयत्नों की सार्थकता इसी बात में है कि स्त्री-कविता के माध्यम से साहित्य और जेंडर के सम्बन्ध को समझते हुए मूल्यांकन की उदार कसौटियों का निर्माण हो सके जिसमें सबका स्वर शामिल हो।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2019
Edition Year 2019, 1st Ed.
Pages 238
Price ₹299.00
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Rekha Sethi

Author: Rekha Sethi

डॉ. रेखा सेठी दिल्ली विश्वविद्यालय के इन्द्रप्रस्थ कॉलेज में एसोसिएट प्रोफ़ेसर होने के साथ-साथ लेखक, आलोचक, सम्पादक और अनुवादक हैं। उनका लेखन मूलत: समकालीन हिन्दी कविता तथा कहानी के विशेष आलोचनात्मक अध्ययन पर केन्द्रित है। रचना के मर्म तक पहुँचकर उसके संवेदनात्मक आयामों की पहचान करना उनकी आलोचना का उद्देश्य है।

मीडिया अध्ययन, जेंडर की अवधारणा और उसकी सामाजिक अभिव्यक्ति के अध्ययन की विविध दिशाओं में उनकी गहरी दिलचस्पी है, जिसका प्रमाण उनके लेखन में मिलता है। पिछले कुछ समय से वे स्त्री रचनाकारों की कविताओं के अध्ययन के माध्यम से साहित्य एवं जेंडर के अन्तस्सम्बन्धों को समझने की कोशिश कर रही हैं। उनका आग्रह स्त्री-कविता को स्त्री-पक्ष और उसके पार देखने का है।

उनकी प्रकाशित पुस्तकों में प्रमुख हैं—'विज्ञापन : भाषा और संरचना', 'विज्ञापन डॉट कॉम', 'व्यक्ति और व्यवस्था : स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कहानी का सन्दर्भ', 'मैं कहीं और भी होता हूँ : कुँवर नारायण की कविताएँ' (सं.), 'निबन्धों की दुनिया : प्रेमचन्द' (सं.), 'निबन्धों की दुनिया : हरिशंकर परसाई' (सं.), 'निबन्धों की दुनिया : बालमुकुन्द गुप्त' (सं.), 'हवा की मोहताज क्यूँ रहूँ' (इंदु जैन की कविताएँ—सं.) आदि। हाल ही में उनके द्वारा अनूदित सुकृता पॉल कुमार की अंग्रेज़ी कविताओं का हिन्दी अनुवाद 'समय की कसक' शीर्षक से पुस्तकाकार प्रकाशित हुआ है। उनकी पुस्तक-समीक्षाएँ व लेख 'जनसत्ता', 'नया ज्ञानोदय', 'पूर्वग्रह', 'संवेद', 'हंस', 'The Book Review', 'Indian Literature' आदि पत्र-पत्रिकाओं में छपते रहे हैं। उन्होंने अमरीका के रट्गर्स विश्वविद्यालय, लन्दन के इम्पीरियल कॉलेज तथा लिस्बन विश्वविद्यालय, पुर्तगाल में हुए अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलनों में शोध-पत्र प्रस्तुत किए हैं।

 

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