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Sitaron Ki Ratein-Paper Back

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9788126725144
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सितारे रात में ही चमकते हैं या कहें कि हर सितारे का एक अँधेरा भी होता है। लेकिन दर्शक की नज़र अक्सर सितारों पर ही जाती है, उनके अँधेरों पर नहीं। यह प्रक्रिया हमारी फ़ितरत से भी सम्बन्ध रखती है, और सीमा से भी। शोभा डे इसी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करती हैं। वे उन अँधेरों को भी उघाड़कर देखती हैं, जिन्हें रोशनी ने छुपाया हुआ है। विडम्बना यह कि लेखिका की आँख से देखे और दिखाए गए ये अँधेरे 'बॉलीवुड' की जिन सच्चाइयों को उजागर करते हैं, उन्हें अक्सर ही 'गॉसिप' कहकर नकार दिया जाता है। लेखिका ने इस पुस्तक में मुम्बई की फ़िल्मी दुनिया के जिन चरित्रों को चित्रित किया है, वे अमूर्त नहीं हैं। उन्हें पहचाना जा सकता है—ख़ासकर इसकी केन्द्रीय चरित्र आशा रानी को। यथार्थ और लेखकीय कल्पना के बावजूद उसे हम जीवित-जाग्रत अभिनेत्री के रूप में भी पहचान सकते हैं, और एक प्रतीकात्मक चरित्र के रूप में भी। उसके इर्द-गिर्द और भी कितने ही तारों-सितारों की पहचान की जा सकती है। दरअसल यह एक ऐसी रंगीन दुनिया है, जिसका उद्दाम आकर्षण किसी भी कलाकार को किसी भी हद तक ले जा सकता है। देह इस दुनिया में सिर्फ़ उपभोग और ऊँचाई पर पहुँचने का माध्यम है। निषेध और नैतिकता यहाँ सिर्फ़ शब्द हैं। स्त्री है, जो बिछी हुई है और पुरुष है, जो तना हुआ है। कहना न होगा कि अंग्रेज़ी से अनूदित शोभा डे की यह कृति हिन्दी पाठकों के लिए एक नया अनुभव होगा। अलग-अलग फ़िल्मी चरित्रों की पेशगोई के बावजूद इसे एक दिलचस्प उपन्यास की तरह पढ़ा जा सकता है।

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Translator Mojez Michael
Editor Not Selected
Publication Year 2014
Edition Year 2018, Ed. 2nd
Pages 280p
Price ₹299.00
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 2
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Shobha De

Author: Shobha De

शोभा डे

 

वर्ष 1948 में महाराष्ट्र में जन्मी शोभा डे की शिक्षा दिल्ली और मुम्बई में हुई। मुम्बई के सेंट ज़ेवियर कॉलेज से उन्होंने मनोविज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की और 1970 में पत्रकारिता जगत में क़दम रखा।

उन्होंने तीन चर्चित पत्रिकाओं—‘स्टारडस्ट’, ‘सोसायटी‘ और ‘सेलिब्रिटी’—की नींव रखी और उनका सम्पादन किया। ‘सन्डे’ और ‘मेगा सिटी’ पत्रिकाओं की वे सलाहकार सम्पादक रहीं।

शोभा डे आजकल स्वतंत्र लेखन में रत हैं। वे कई अख़बारों और पत्रिकाओं के लिए कॉलम लिखती हैं जिनमें प्रमुख हैं : ‘द टाइम्स ऑफ़ इंडिया’, ‘द स्टेट्समैन’, ‘इंडियन एक्सप्रेस’ और ‘द वीक’। 1988 में उन्होंने अपना पहला बहुचर्चित उपन्यास ‘सोशलाइट इवनिंग्स’ लिखा था।

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