प्रस्तुत पुस्तक ‘श्रीलीला रामायण’ में तुलसी की रामकथा है, उनका मानस है और गद्य-पद्य में उन्हीं की पंक्तियाँ हैं। प्रत्येक प्रसंग का मानस के अनुसार स्वरूप दिया गया है। यदि लीला करनेवाले चाहें तो उनका कवित्त-छन्द रीति से शृंगार कर सकते हैं, पर ध्यान रहे अतिरेक न हो, कथा का रस भंग न हो। क्षेपक जोड़ने से कथा का विस्तार होगा और यदि समय अनुमति दे तो वैसा कर सकते हैं।

इस लीला-संग्रह में कोई दुराग्रह नहीं है, कोई बाध्यता नहीं है पर जो केवल तुलसी के ‘रामचरितमानस’ को रूपायित करना चाहते हैं, उनके लिए यह उपयोगी होगा। इसका पाठ आपको ‘रामचरितमानस’ के संक्षिप्त पाठ का सुख देगा। रामजी की प्रेरणा से यह लिखा गया और उन्हीं के युगल चरणों में अर्पित है।

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2014
Edition Year 2014, Ed. 1st
Pages 260p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 24.5 X 16 X 2
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You're reviewing:Shri Leela Ramayan
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Bhanushankar Mehta

Author: Bhanushankar Mehta

भानुशंकर मेहता

जन्म : 25 मई, 1921; जौनपुर (उ.प्र.)।

भाषा-ज्ञान : हिन्दी, अंग्रेज़ी, गुजराती।

शिक्षा : बी.एससी., एम.बी.बी.एस. (लखनऊ)।

कार्य : वाराणासी के सुप्रतिष्ठित चिकित्सक (पैथोलोजिस्ट) रहे।

रूचि-वृत्ति : गहरी सांस्कृतिक समझ, कुशल निदेशक, अभिनेता, सशक्त लेखन, चिकित्सा-शास्त्र के साथ-साथ अनेक स्तरीय साहित्यिक पुस्तकों/पत्रों का प्रकाशन, समर्पित रंग-अध्येता, मर्मज्ञ एवं देश में प्रचलित ‘रामलीला-परम्परा’ के मर्मज्ञ एवं आधिकारिक विद्वान।

विशिष्ट समितियों की सदस्यता : उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी में छह वर्षों तक उपाध्यक्ष, आग़ा हश्र अकादमी के अध्यक्ष, राष्ट्रीय रामलीला मेला, म.प्र. तथा अनेक सांस्कृतिक संस्थाओं से सम्बद्ध रहे।

अन्य सामाजिक सरोकार : रामकथा और रामलीला। काशी में अनेक वर्ष सन्त छोटे जी महाराज के मानस प्रतियोगिता सम्मेलन का संचालन तथा अनेक सुख्यात व्यसन के प्रवचन सुनने का अवसर। मध्य प्रदेश आदिवासी लोक कला परिषद् द्वारा आयोजित राष्ट्रीय रामलीला मेले के आरम्भ से संयोजक समिति के सदस्य। चित्रकूट रामलीला मेले में सक्रिय सहभागिता। मानस संगम, कानपुर द्वारा सम्मान। वाराणासी, लखनऊ, कोलकाता, वड़ोदरा, सूरत, अहमदाबाद आदि नगरों में रामलीला पर व्याख्यान। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की पत्रिका ‘आपका स्वास्थ्य’ के संस्थापक और तीस वर्षों तक सम्पादन। विविध विषयों पर लेख और अनेक पुस्तकें प्रकाशित।

निधन : 3 अक्टूबर, 2015

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