Shri Ramnagar Ramleela

Edition: 2015, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Shri Ramnagar Ramleela

‘रामचरितमानस’ सोलहवीं सदी में पुनः कही गई रामकथा है जिसमें राम का दर्पण रूप प्रतिबिम्बित है और यहाँ राम देवपद पर प्रतिष्ठित हो गए हैं। यहाँ राम द्विज हैं और उनकी कथा भी दो बार कही गई।

रामकथा का एक तृतीयांश आदर्श पुरुष राम का, दूसरी तिहाई राजाराम की और अन्तिम अंश वैरागी यात्री राम का है। यहाँ रामनगर में समानान्तर अंक हैं—नगर में जहाँ सुख-सुविधा है, अविकसित ग्राम हैं और वन हैं, वहीं आदिवासी, साधु-सन्त और वैरागी भी रहते हैं। ‘रामनगर रामलीला’ का अद्भुत प्रसंग है—कोट बिदाई। एक राजा द्वारा दूसरे राजा का स्वागत-सत्कार और फिर स्वरूपों को देवरूप मानकर विधिवत् पूजा करता है।

‘रामनगर रामलीला’ की यात्राएँ देखें—एक तो राम जी की बारात है जो अयोध्या से जनकपुर जाती है, फिर विदाई यात्रा है जिसमें वर-वधू जनकपुर से अयोध्या आते हैं। वनयात्रा और भरत की चित्रकूट नंदीग्राम की लम्बी यात्रा है। भरत-मिलन लंका से अयोध्या की यात्रा है।

‘रामनगर रामलीला’ में लोककला चरम उत्कर्ष पर पहुँच गई है। लोककला की सीमा में सौन्दर्यबोध का अपूर्व विकास हुआ।

‘रामलीला’—नाटक, धर्म, राजनीति और समाज की संयुक्त अवतारणा है।

‘रामलीला’ में पुराणकथा, दर्शक सहभागिता, राजनीति की माया, पर्यावरण का सभी स्तरों पर प्रदर्शन होता है।

अन्यत्र कहीं भी रामनगर का अनुकरण नहीं हो सकता, हाँ, इससे कुछ सीख सकते हैं।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2015
Edition Year 2015, Ed. 1st
Pages 223p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 24.5 X 16 X 1.5
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Bhanushankar Mehta

Author: Bhanushankar Mehta

भानुशंकर मेहता

जन्म : 25 मई, 1921; जौनपुर (उ.प्र.)।

भाषा-ज्ञान : हिन्दी, अंग्रेज़ी, गुजराती।

शिक्षा : बी.एससी., एम.बी.बी.एस. (लखनऊ)।

कार्य : वाराणासी के सुप्रतिष्ठित चिकित्सक (पैथोलोजिस्ट) रहे।

रूचि-वृत्ति : गहरी सांस्कृतिक समझ, कुशल निदेशक, अभिनेता, सशक्त लेखन, चिकित्सा-शास्त्र के साथ-साथ अनेक स्तरीय साहित्यिक पुस्तकों/पत्रों का प्रकाशन, समर्पित रंग-अध्येता, मर्मज्ञ एवं देश में प्रचलित ‘रामलीला-परम्परा’ के मर्मज्ञ एवं आधिकारिक विद्वान।

विशिष्ट समितियों की सदस्यता : उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी में छह वर्षों तक उपाध्यक्ष, आग़ा हश्र अकादमी के अध्यक्ष, राष्ट्रीय रामलीला मेला, म.प्र. तथा अनेक सांस्कृतिक संस्थाओं से सम्बद्ध रहे।

अन्य सामाजिक सरोकार : रामकथा और रामलीला। काशी में अनेक वर्ष सन्त छोटे जी महाराज के मानस प्रतियोगिता सम्मेलन का संचालन तथा अनेक सुख्यात व्यसन के प्रवचन सुनने का अवसर। मध्य प्रदेश आदिवासी लोक कला परिषद् द्वारा आयोजित राष्ट्रीय रामलीला मेले के आरम्भ से संयोजक समिति के सदस्य। चित्रकूट रामलीला मेले में सक्रिय सहभागिता। मानस संगम, कानपुर द्वारा सम्मान। वाराणासी, लखनऊ, कोलकाता, वड़ोदरा, सूरत, अहमदाबाद आदि नगरों में रामलीला पर व्याख्यान। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की पत्रिका ‘आपका स्वास्थ्य’ के संस्थापक और तीस वर्षों तक सम्पादन। विविध विषयों पर लेख और अनेक पुस्तकें प्रकाशित।

निधन : 3 अक्टूबर, 2015

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