यह धारणा श्लाघा का अतिरेक नहीं है कि हिन्दी की ललित निबन्ध-विधा समर्थ-समृद्ध विधा है। हिन्दी निबन्ध का चयन इस विवेक से किया गया है कि प्रत्येक विचारसरणि और प्रत्येक पीढ़ी के रचनाकारों की शिल्प-संवेदना का समुचित प्रतिनिधित्व हो सके। समग्रता का दावा मैं नहीं करता, नम्रतापूर्वक इतना ही निवेदन करना चाहता हूँ कि रम्य रचना के रसज्ञों को यह संकलन हिन्दी की व्यक्तिव्यंजक निबन्ध-परम्परा का एक संक्षिप्त किन्तु प्रामाणिक परिचय दे सकेगा।
—कृष्ण बिहारी मिश्र
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Publication Year | 1992 |
Edition Year | 2012, Ed. 2nd |
Pages | 322p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Lokbharti Prakashan |
Dimensions | 21.5 X 14.5 X 2 |