Sham' A Har Rang Mein

Edition: 2007, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Sham Har Rang Mein

‘ख़्वाब है दीवाने का’ से आरम्भ हुई कृष्ण बलदेव वैद की डायरी-यात्रा ‘शम’अ हर रंग में’ तक पहुँचकर विराम लेती है। अर्थ स्पष्ट है कि ‘शम’अ हर रंग में’ एक लेखक की डायरी है। एक ऐसे शख़्स की दैनिक आपबीती जिसके लिए लेखक होना कोई बाहरी चुनाव नहीं, आन्तरिक मजबूरी है।

‘शम’अ हर रंग में’ एक ऐसी पुस्तक है जो रेखांकित करती है कि लेखक समाज से उतना नहीं लड़ता जितना कि अपने आपसे। उसका हर दिन, हर लम्हा कल की नोक पर अटका रहता है। उसकी उदासियाँ, ख़ुशियाँ, शक, यक़ीन, ज़िद्द—यानी अपने होने का हर रंग, उसके तख़लीक़ी इरादों और अन्देशों के इर्द-गिर्द बचा हुआ है। बारीक अहसासों से भाषा की हदों को पार कर जाता है और पाठकों का अन्तरंग हो जाता
है।
यह पुस्तक डायरी-लेखन की विशिष्टता की कसौटी बनकर उभरी है और मनुष्य के मानसिक जीवन के उतार-चढ़ावों का रूपायण करती है। बीती सदी के आधे समय और समाज की कुछ बारीक कतरनें और रंगतें भी इसमें मौजूद हैं। हिन्दी रचना-संसार की दुर्लभ झलकियाँ भी इस पुस्तक को महत्त्वपूर्ण बनाती हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2007
Edition Year 2007, Ed. 1st
Pages 291p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2.2
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Krishna Baldev Vaid

Author: Krishna Baldev Vaid

कृष्‍ण बलदेव वैद

जन्म : 27 जुलाई, 1927; डिंगा (पंजाब)।

शिक्षा : एम.ए. (अंग्रेज़ी), पंजाब विश्वविद्यालय (1949); पीएच.डी., हार्वर्ड विश्वविद्यालय (1961)।

हंसराज कॉलिज, दिल्ली विश्वविद्यालय (1950-62); अंग्रेज़ी विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ (1962-66); अंग्रेज़ी विभाग, न्यूयॉर्क स्टेट विश्वविद्यालय (1966-85); अंग्रेज़ी विभाग, ब्रेंडाइज़ विश्वविद्यालय (1968-69) में अध्‍यापन। भारत भवन, भोपाल में ‘निराला सृजन पीठ’ के अध्‍यक्ष भी रहे (1985-88)।

प्रकाशित कृतियाँ : ‘उसका बचपन’, ‘बिमल उर्फ़ जाएँ तो जाएँ कहाँ’, ‘नसरीन’, ‘दूसरा न कोई’, ‘दर्द ला दवा’, ‘गुज़रा हुआ ज़माना’, ‘काला कोलाज’, ‘नर-नारी’, ‘मायालोक’, ‘एक नौकरानी की डायरी’ (उपन्यास); ‘बीच का दरवाज़ा’, ‘मेरा दुश्मन’, ‘दूसरे किनारे से’, ‘लापता’, ‘उसके बयान’, ‘वह और मैं’, ‘ख़ामोशी’, ‘आलाप’, ‘लीला’, ‘पिता की परछाइयाँ’, ‘मेरा दुश्मन’, ‘रात की सैर’, ‘बोधिसत्व की बीवी’, ‘‘बदचलन’ बीवियों का द्वीप’, ‘ख़ाली किताब का जादू’, ‘प्रवास गंगा’, ‘मेरी प्रिय कहानियाँ’, ‘दस प्रतिनिधि कहानियाँ’, ‘चर्चित कहानियाँ’, ‘सम्पूर्ण कहानियाँ’ (दो जिल्दों में) (कहानी); ‘भूख आग है’, ‘हमारी बुढ़‍िया’, ‘सवाल और स्वप्न’, ‘परिवार अखाड़ा’, ‘मोनालिसा की मुस्कान’, ‘कहते हैं जिसको प्यार’, ‘अन्त का उजाला’ (नाटक); ‘अब्र क्या चीज़ है? हवा क्या है?’ आदि (डायरी); ‘टेकनीक इन द टेल्ज़ ऑफ़ हेनरी जेम्ज़’ (समीक्षा); अंग्रेज़ी में : ‘स्टेप्स इन डार्कनेस’ (उसका बचपन), ‘बिमल इन बॉग’ (बिमल उर्फ़ जाएँ तो जाएँ कहाँ), ‘डाइंग अलोन’ (दूसरा न कोई और दस कहानियाँ), ‘द ब्रोकन मिरर’ (गुज़रा हुआ ज़माना), ‘सायलेंस’ (चुनी हुई कहानियाँ), ‘फ़ायर इन बैली/आवर ओल्ड वुमन’ (भूख आग है/हमारी बुढिय़ा), ‘द स्कल्प्टर इन एक्ज़ाइल’ (चुनिन्दा कहानियाँ), ‘द डायरी ऑफ़ अ मेडसर्वेंट’ (एक नौकरानी की डायरी); हिन्दी में : ‘गॉडो के इन्तज़ार में’ (बैकिट), ‘आख़िरी खेल’ (बैकिट), ‘फ़ेड्रा’ (रासीन), ‘एलिस अजूबों की दुनिया में’ (लुईस कैरोल); अन्य लेखकों की कृतियों के अनुवाद : ‘डेज़ ऑफ़ लॉन्गिंग’ (निर्मल वर्मा का उपन्यास : ‘वे दिन’), ‘बिटर स्विट डिज़ायर’ (श्रीकान्त वर्मा का उपन्यास : ‘दूसरी बार’), ‘इन द डार्क’ (मुक्तिबोध की सुदीर्घ कविता : ‘अँधेरे में’)।

इनके अलावा अनेक रचनाओं के अनुवाद बांग्ला, उर्दू, गुजराती, तमिल, मलयालम, मराठी, जर्मन, इतालवी, नॉर्वेजियन, स्वीडिश, पोलिश आदि भाषाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।

निधन : 6 फरवरी, 2020

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