Nabeela Aur Any Kahaniyan

सारा राय की कहानियाँ घटनाओं को नहीं घटना की सूक्ष्म प्रक्रिया को अपना विषय बनाती हैं और एक जीवित इकाई की तरह साँस लेते परिवेश के सुचित्रित फ़्रेम में उसे स्थित करती हैं। इस तरह वह कहानी किसी एक पात्र की न रहकर अस्तित्व के समूचे बोध की कहानी हो जाती है। कहानी के प्रचलित फ़ॉर्म्स का अनुकरण न करके वे अपना एक भाषिक और संवेदनात्मक पथ गढ़ती हैं ताकि अपने अनुभव को एक सम्पूर्ण संसार के रूप में पढ़ने वाले को दे सकें।
यह यथार्थ के एक विशाल फ़लक को एक बारीक़ नोक से चित्रांकित करने जैसा है। जैसे कोई छोटी-छोटी लेकिन स्पष्ट तस्वीरों से एक बहुत बड़े कैनवॉस को धैर्यपूर्वक भर रहा हो। भूगोल के पट पर समय व साधारण लोगों के निजी इतिहास के मद्धिम रंगों में उकेरे गए बिम्ब जिनमें स्मृतियों की पतली गलियाँ हमें अपने भीतर जाती महसूस होती हैं।
अपने शोर भरे सिर से निकलकर जैसे एक शान्त, पेड़ों से ढकी सड़क पर जाना। लेकिन जीवन-जगत की वास्तविकताओं से मुँह मोड़कर नहीं, बराबर उनको देखते, उन्हें जीते हुए। उन्हें एक अलग निगाह से जानते हुए। बच्चों के आश्चर्य, प्रौढ़ों की उदासियाँ, वृद्धों का अकेलापन, दुख, मध्यवर्ग का उथलापन, अभावों से जूझते लोगों के भीतरी-बाहरी सन्नाटे, विस्थापन, घर-आँगन, उनके साथ बूढ़े होते स्त्री-पुरुष और पेड़, उपेक्षित बेलें, जीव-जन्तु और प्रकृति की अनेक छवियाँ इन कहानियों के समग्र अनुभव का निर्माण करती हैं।
इस संग्रह की हर कहानी अपनी अलग और विशिष्ट गढ़न के साथ आती है जो बताता है कि लेखक ने दुनिया को देखने के लिए किस हद तक स्वयं को खुला रखा है। अच्छे कथा-गद्य के प्रेमी पाठकों को ये कहानियाँ निश्चय ही बार-बार पढ़ने लायक़ लगेंगी।
Language | Hindi |
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Format | Hard Back, Paper Back |
Publication Year | 2022 |
Edition Year | 2022, Ed. 1st |
Pages | 160p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 22 X 14.5 X 1.5 |
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