Main Hindu Hoon

Author: Asghar Wajahat
Edition: 2024, Ed. 4th
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Main Hindu Hoon

असग़र वजाहत उन विरले कहानीकारों में गिने जाते हैं जिन्होंने पूरी तरह अपनी प्रतिबद्धता बनाए रखते हुए भाषा और शिल्प के सार्थक प्रयोग किए हैं। उनकी कहानियाँ एक ओर आश्वस्त करती हैं कि कहानी की प्रेरणा और आधारशिला सामाजिकता ही हो सकती है तो दूसरी ओर यह भी स्थापित करती हैं कि प्रतिबद्धता के साथ नवीनता, प्रयोगधर्मिता का मेल असंगत नहीं है। ‘मास मीडिया’ से आक्रान्‍त इस युग में असग़र वजाहत की कहानियाँ बड़ी ज़‍िम्मेदारी से नई ‘स्पेश’ तलाश कर लेती हैं। राजनीति और मनोरंजन द्वारा मीडिया पर एकाधिकार स्थापित कर लेनेवाले समय में असग़र की कहानियाँ अपनी विशेष भाषा और शिल्प के कारण अधिक महत्त्वपूर्ण हो गई हैं।

‘मैं हिन्दू हूँ’ में असग़र न केवल अपनी गति बनाए हुए हैं बल्कि उनके रचना-संसार में संवेदना के धरातल पर कुछ परिवर्तन भी आए हैं। हास्य, व्यंग्य और खिलंदड़ापन के साथ-साथ अब उनकी कहानी में गहरा अवसाद और दु:ख शामिल हो गया है। बहुआयामी जटिल यथार्थ और आम आदमी की पीड़ा को व्यक्त करने के लिए वे नए ‘हथियारों’ की तलाश में दिखाई पड़ते हैं।

विषय की विविधता के बावजूद उनकी कहानियों में साम्प्रदायिकता की समस्या तथा सामाजिक अवमूल्यन का अपना अलग महत्त्व है। उनकी कहानियाँ दरअसल उन लोगों की कहानियाँ हैं जो समाज के हाशिये पर पड़े हैं, लेकिन बड़े सामाजिक सन्‍दर्भों से जुड़ने का जतन करते रहते हैं। इन कहानियों में असग़र कल्पना और फैंटेसी के सम्मिश्रण से एक ऐसी भाव-भूमि की संरचना करते हैं जो कहानी को विस्तार देती है। उनकी कहानियाँ पाठकों से माँग करती हैं कि शब्दों और वाक्यों के समान्तर रचे गए अनकहे संसार की परतें भी खोलते रहें।

रोचकता की तमाम शर्तों पर पूरा उतरते हुए असग़र वजाहत की कहानियाँ गम्भीर विश्लेषणात्मक रवैये की माँग करती हैं। 

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2006
Edition Year 2024, Ed. 4th
Pages 151p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Asghar Wajahat

Author: Asghar Wajahat

असग़र वजाहत

5 जुलाई, 1946 को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में जन्मे असग़र वजाहत ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए., पीएच.डी. और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली से पोस्ट डाक्टोरल रिसर्च की। 1971 से 2011 तक जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, दिल्ली के हिन्दी विभाग में अध्यापन किया। पाँच वर्षों तक ओत्वोश लोरांड विश्वविद्यालय, बुडापेस्ट, हंगरी में भी पढ़ाया। यूरोप और अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों में व्याख्यान दिए।

पाँच कहानी-संग्रह, तीन उपन्यास, एक उपन्यास त्रयी, दो लघु उपन्यास, दस नाटक, एक नुक्कड़ नाटक-संग्रह और यात्रा-संस्मरण की चार पुस्तकों सहित दो दर्जन से अधिक पुस्तकें अब तक प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी रचनाएँ कई भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं।  ‘बीबीसी हिन्दी’, ‘हंस’ और ‘वर्तमान साहित्य’ के विशेषांकों का अतिथि सम्पादन भी किया। फ़ि‍ल्मों के लिए पटकथाएँ लिखने के अलावा धारावाहिक और डॉक्यूमेंटरी फ़ि‍ल्में भी बनाई हैं।

चित्रकला और पर्यटन में गहरी रुचि है।

साहित्यिक अवदान के लिए ‘कथा यूके सम्मान’, हिन्दी अकादेमी, दिल्ली के ‘शलाका सम्मान’, ‘स्पन्दन कथा शिखर सम्मान’, व्यास सम्मान जैसे प्रतिष्ठित सम्मान-पुरस्कार।

इन दिनों स्वतंत्र लेखन।

सम्पर्क : awajahat45@gmail.com

 

 

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