Man-Maati

Author: Asghar Wajahat
As low as ₹179.10 Regular Price ₹199.00
You Save 10%
In stock
Only %1 left
SKU
Man-Maati
- +

‘मन-माटी’ दरअसल उपन्यास से अधिक अपनी जड़ों की तलाश में लगे व्यक्तियों की व्यथा का एक दस्तावेज़ है। उपन्यास का कोई पारम्परिक ढाँचा नहीं है क्योंकि इसमें केवल किसी एक व्यक्ति या परिवार की कथा नहीं है बल्कि एक खोज है जिसे हम केन्द्रीय मुद्दा मान सकते हैं। यह केन्द्रीय समस्या तरह-तरह के रंगों में हमारे सामने आती है। इसकी झलकियाँ कहीं सूरीनाम के जंगलों में मिलती हैं तो कहीं यह अमेरिका और योरोप के महाद्वीपों में नज़र आती है। अलग-अलग देशों में बसे लोगों की खोज इस तरह उद्घाटित होती है कि माटी को मन मान लेने पर विवश होना पड़ता है। दरअसल मन और माटी के प्रतीक को लेखक ने एक बड़े फ़लक पर स्थापित करने का प्रयास किया है।
असग़र वजाहत के लेखन की आत्मीय, अनौपचारिक और रोचक शैली, उनका बेबाक अन्दाज़ इस उपन्यास में पूरी तरह देखा जा सकता है। पात्रों के साथ उनके परिवेश में डूब जाना, उनके मनोभावों, आशा-निराशा, सुख-दुख के साथ आत्मीय रिश्ता बना लेना पाठक को ख़ासतौर पर सुहाता है।
सरसरी ढंग से देखने पर यह बहुत सहज और सीधी बात लगती है लेकिन इसके मर्म तक पहुँचने पर लगता है कि यह तो मृत्यु और जन्म जैसे गम्भीर प्रश्न की तरह हमें चिन्तित करती है।
इसी जिल्द में शामिल दूसरा उपन्यास ‘चहारदर’ हमारे समय की एक बड़ी चुनौती से साक्षात्कार करता है। भारत विभाजन और उसके दर्द को भोगती कई पीढ़ियों की यह कहानी वास्तव में ऐसी ‘सीमा रेखाओं’ की वकालत करती है जो मानवीय रिश्तों को मज़बूत करें। भारत-पाक संबंधों पर पहली बार युवा पीढ़ी के दृष्टिकोण से लिखे गए इस उपन्यास में राजनीति के षड्यंत्रों का भी पर्दाफ़ाश किया गया है जिसके लिए व्यवस्था ही सर्वोपरि है, मनुष्यता और भावनाओं की कोई कीमत नहीं।
दोनों लघु उपन्यासों की सहजता, सरलता ही उनकी विशिष्टता है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2011
Edition Year 2022, Ed. 3rd
Pages 160p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Man-Maati
Your Rating
Asghar Wajahat

Author: Asghar Wajahat

असग़र वजाहत

5 जुलाई, 1946 को उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में जन्मे असग़र वजाहत ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए., पीएच.डी. और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली से पोस्ट डाक्टोरल रिसर्च की। 1971 से 2011 तक जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, दिल्ली के हिन्दी विभाग में अध्यापन किया। पाँच वर्षों तक ओत्वोश लोरांड विश्वविद्यालय, बुडापेस्ट, हंगरी में भी पढ़ाया। यूरोप और अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों में व्याख्यान दिए।

पाँच कहानी-संग्रह, तीन उपन्यास, एक उपन्यास त्रयी, दो लघु उपन्यास, दस नाटक, एक नुक्कड़ नाटक-संग्रह और यात्रा-संस्मरण की चार पुस्तकों सहित दो दर्जन से अधिक पुस्तकें अब तक प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी रचनाएँ कई भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं।  ‘बीबीसी हिन्दी’, ‘हंस’ और ‘वर्तमान साहित्य’ के विशेषांकों का अतिथि सम्पादन भी किया। फ़ि‍ल्मों के लिए पटकथाएँ लिखने के अलावा धारावाहिक और डॉक्यूमेंटरी फ़ि‍ल्में भी बनाई हैं।

चित्रकला और पर्यटन में गहरी रुचि है।

साहित्यिक अवदान के लिए ‘कथा यूके सम्मान’, हिन्दी अकादेमी, दिल्ली के ‘शलाका सम्मान’, ‘स्पन्दन कथा शिखर सम्मान’, व्यास सम्मान जैसे प्रतिष्ठित सम्मान-पुरस्कार।

इन दिनों स्वतंत्र लेखन।

सम्पर्क : awajahat45@gmail.com

 

 

Read More
Books by this Author
Back to Top