आशा प्रभात का यह उपन्यास एक औरत का ख़ुद को पहचानने और अपनी ख़ुदी को बरकरार रखने की अद्भुत संघर्ष-गाथा है।
इसमें बाहरी और अंदरूनी स्तर पर घटनाएँ कुछ इस कदर शाइस्तगी से घटती हैं कि पाठक चौंकता है और ठहरकर सोचने पर विवश हो जाता है। इस उपन्यास में सदियों से प्रतीक्षारत इस सवाल का उत्तर तलाशने की एक पुरज़ोर कोशिश की गई है कि पति, पत्नी और वह के प्रेम त्रिकोण वाले सम्बन्धों में सबसे कमज़ोर स्थिति किसकी होती है?
अपने स्वत्व की तलाश में जुटी स्त्रियों के भटकाव की परिणति से अवगत कराता यह उपन्यास स्त्री-पुरुष सम्बन्धों की बारीकी से पड़ताल करता है। लेखिका ने औरत से व्यक्ति बन जाने की जद्दोजहद को बहुत ही सहज भाषा में अभिव्यक्त करने का उपक्रम किया है। कथा-प्रवाह और पठनीयता की दृष्टि से भी यह एक उल्लेखनीय कृति है।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back, Paper Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2019 |
Edition Year | 2019, 1st Ed. |
Pages | 127P |
Publisher | Rajkamal Prakashan |