Kuthanv

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Author: Abdul Bismillah
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Kuthanv
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‘कुठाँव’ में स्त्री और पुरुष का, प्रेम और वासना का, हिन्दू और मुसलमान का और ऊँची-नीची जातियों का एक भीषण परिदृश्य रचा गया है। अब्दुल बिस्मिल्लाह समाज और विशेष रूप से मुस्लिम समाज की आन्तरिक विडम्बनाओं और विसंगतियों को बख़ूबी चित्रित करते रहे हैं। इस उपन्यास में मेहतर समाज की मुसलमान औरत इद्दन और उसकी बेटी सितारा है जो ऊँची जाति के, पैसेवाले मुस्लिम मर्दों से लोहा लेती हैं। स्त्री और पुरुष के और भी आमने-सामने के कई समीकरण यहाँ रचे गए हैं और यौन को एक हथियार की तरह इस्तेमाल करके अपनी सामाजिक और मर्दाना प्रतिष्ठा को द्विगुणित करने के कुप्रयासों का भी निर्दयतापूर्वक भंडाफोड़ किया गया है। यह प्रश्न कि सदियों से ताक़त के क़ि‍स्म-क़िस्म के चौखटों में जकड़ी, लड़ती-भिड़ती और जीतती-हारती औरतों के लिए आख़िर मुक्ति की राह कहाँ है? इस सन्दर्भ में उपन्यास सपनों की अनन्त उड़ानों पर विराम लेता है। हम जान पाते हैं कि ये सपने ही हैं जो उन्हें अन्तत: मुक्ति की मंज़िल तक ले जाएँगे। तब न कोई अपनी दैहिक ताक़त से उन्हें परास्त कर पाएगा, न सामाजिक ताक़त से।

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, 1st Ed.
Pages 183p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
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Editorial Review

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Abdul Bismillah

Author: Abdul Bismillah

अब्दुल बिस्मिल्लाह

जन्म : 5 जुलाई, 1949 को इलाहाबाद ज़िले के बलापुर गाँव में।

शिक्षा : इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में एम.ए. तथा डी.फिल.।

1993-95 के दौरान वार्सा यूनिवर्सिटी, वार्सा (पोलैंड) में तथा 2003-05 के दौरान भारतीय दूतावास, मॉस्को (रूस) के जवाहरलाल नेहरू सांस्कृतिक केन्द्र में विजि़टिंग प्रोफ़ेसर रहे।

1988 में सोवियत संघ की यात्रा। उसी वर्ष ट्यूनीशिया में सम्पन्न एफ्रो-एशियाई लेखक सम्मेलन में शिरकत। पोलैंड में रहते हुए हंगरी, जर्मनी, प्राग और पेरिस की यात्राएँ। 2002 में म्यूनिख (जर्मनी) में आयोजित 'इंटरनेशनल बुक वीक' कार्यक्रम में हिस्सेदारी। 2012 में जोहांसबर्ग में आयोजित विश्व-हिन्दी सम्मेलन में शिरकत।

कृतियाँ : ‘कुठाँव’, ‘अपवित्र आख्यान’, ‘झीनी झीनी बीनी चदरिया’, ‘मुखड़ा क्या देखे’, ‘समर शेष है’, ‘ज़हरबाद’, ‘दंतकथा’, ‘रावी लिखता है’ (उपन्यास); ‘अतिथि देवो भव’, ‘रैन बसेरा’, ‘रफ़ रफ़ मेल’, ‘शादी का जोकर’, ‘ताकि सनद रहे’ (कहानी-संग्रह); ‘वली मुहम्मद और करीमन बी की कविताएँ’, ‘छोटे बुतों का बयान’ (कविता-संग्रह); ‘दो पैसे की जन्नत’ (नाटक); ‘अल्पविराम’, ‘कजरी’, ‘विमर्श के आयाम’ (आलोचना); ‘दस्तंबू’ (अनुवाद) आदि।

‘झीनी-झीनी बीनी चदरिया’ के उर्दू तथा अंग्रेज़ी अनुवाद प्रकाशित। अनेक कहानियाँ मराठी, पंजाबी, मलयालम, तेलुगू, बांग्ला, उर्दू, जापानी, स्पैनिश, रूसी तथा अंग्रेज़ी में अनूदित।

‘रावी लिखता है’ उपन्यास पंजाबी में पुस्तकाकार प्रकाशित।

‘रफ़ रफ़ मेल’ की 12 कहानियाँ ‘रफ़ रफ़ एक्सप्रेस’ शीर्षक से फ़्रेंच में अनूदित एवं पेरिस से प्रकाशित।

सम्मान : ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’, दिल्ली हिन्दी अकादमी, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान और म.प्र. साहित्य परिषद के ‘देव पुरस्कार’ से सम्मानित।

सम्प्रति : जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष और प्रोफ़ेसर के पद से सेवानिवृत्त।



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