Raf Raf Mail

समकालीन हिन्दी कथाकारों में जिन कुछ विशिष्ट कथाकारों की चर्चा की जाती है, उनमें अब्दुल बिस्मिल्लाह प्रमुख हैं। ऐसा इसलिए है कि इस वैश्विक सभ्यता, बाज़ारीकरण और मूल्यहीनता के दौर में भी उनकी आस्था लोक से, जनसामान्य से जुड़ी हुई है। उन्होंने पूँजीवादी व्यवस्था और दलाल बुर्जुआजी के बीच दम तोड़ते व्यक्तियों की सुगबुगाहट को अच्छी तरह पहचाना है और इनके भीतर छिपी विकासात्मक सम्भावनाओं को अपनी कहानियों में काव्यात्मक लय प्रदान की है। भावनात्मक स्तर पर वे जिस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं, वहाँ जीवन के प्रति निश्छल एवं अकुंठ प्रेम का दर्शन होता है। उनकी कहानियाँ परिवेशगत विचित्रताओं, विसंगतियों और जटिलताओं का सूक्ष्म, किन्तु मुकम्मल भाष्य हैं। यहाँ वैचारिक प्रतिबद्धता के साथ भावना का तिरस्कार नहीं, स्वीकार है। रफ रफ मेल की सभी कहानियाँ अब्दुल बिस्मिल्लाह की इन्हीं जीवनेच्छाओं का प्रतिफल हैं।
‘रफ रफ मेल’ में संगृहीत कहानियाँ अपने मिज़ाज और तेवर में परस्पर भिन्न हैं। आज जबकि उत्तर-आधुनिक परिवेश और उत्तर-आधुनिक लेखन की चर्चा ज़ोरों पर है; ये कहानियाँ
अपने पाठकों को हर तरह के नारों से परे करके उन्हें उनकी जड़ों से जोड़ती हैं।
इस संग्रह में ‘गृह प्रवेश’, ‘दुलहिन जीना तो पड़ेगा’, ‘पेड़’, ‘लंठ’, ‘कर्मयोग’ और ‘माटा-मिरला की कहानी’ आदि ऐसी कहानियाँ हैं, जो शिल्प के स्तर पर एकदम नई तर्ज की रचनाशीलता से रू-ब-रू कराती हैं।
‘रफ रफ मेल’ की सम्पूर्ण कहानियाँ संवादात्मक तो हैं ही, प्रयोगधर्मी भी हैं। इन कहानियों में लोक-भाषा, लोक-लय और लोक-मुहावरों को सुरक्षित रखने की कोशिश की गई है, इसीलिए इनमें व्यंग्यात्मकता और ध्वन्यात्मकता की तीखी धार दिखाई पड़ती है।
बीसवीं सदी के अन्त में प्रकाशित यह कहानी-संग्रह अतीत का स्मरण तो दिलाता ही है, भविष्य की ओर भी संकेत करता है।
Language | Hindi |
---|---|
Format | Hard Back |
Publication Year | 2000 |
Edition Year | 2000, Ed. 1st |
Pages | 135p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 18.5 X 12 X 1 |
It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here