Kaba Aur Karbala

Edition: 2001
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Kaba Aur Karbala
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Language Hindi
Binding Paper Back
Edition Year 2001
Pages 72p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Maithlisharan Gupt

Author: Maithlisharan Gupt

मैथिलीशरण गुप्त 

जन्म : 3 अगस्त, 1886 (चिरगाँव, झाँसी) में एक सम्पन्न वैश्य परिवार में। पूरी स्कूली शिक्षा नहीं। स्वतंत्र रूप से हिन्दी, संस्कृत और बांग्ला भाषा एवं साहित्य का ज्ञान। मुंशी अजमेरी के कारण संगीत की ओर भी आकृष्ट।

काव्य-रचना का आरम्भ ब्रजभाषा में उपनाम ‘रसिछेन्द’ ‘सरस्वती’ 1905 के रूप में छपने के बाद से महावीरप्रसाद द्विवेदी के प्रभाव से खड़ीबोली में काव्य-रचना। द्विवेदी-मंडल के नियमित सदस्य। अपनी कृतियों से खड़ीबोली को काव्य-माध्यम के रूप में स्वीकृति दिलाने में सफल। 1909 में पहली काव्य-कृति ‘रंग में भंग’ का प्रकाशन। तत्पश्चात् ‘जयद्रथ-वध’ और ‘भारत-भारती’ के प्रकाशन से लोकप्रियता में भारी वृद्धि। 1930 में महात्मा गांधी द्वारा ‘राष्ट्रकवि’ की अभिधा प्रदत्त, जिसे सम्पूर्ण राष्ट्र द्वारा मान्यता।

प्रमुख कालजयी कृतियाँ : ‘जयद्रथ-वध’, ‘भारत-भारती’, ‘पंचवटी’, ‘साकेत’, ‘यशोधरा’, ‘द्वापर’, ‘मंगल-घर’ और ‘विष्णु प्रिया’। गुप्त जी ने बांग्ला से मुख्यतः माइकेल मधुसूदन दत्त की काव्य-कृतियों ‘विरहिणी वज्रांगना’ और ‘मेघनाद-वध’ का पद्यानुवाद भी किया। संस्कृत से भास के अनेक नाटकों का भी अनुवाद। उत्कृष्ट गद्य-लेखक भी, जिसका प्रमाण ‘श्रद्धांजलि और संस्करण’ नामक पुस्तक।

भारतीय राष्ट्रीय जागरण और आधुनिक चेतना के महान कवि के रूप में मान्य। खड़ीबोली में काव्य-रचना के ऐतिहासिक पुरस्कर्ता ही नहीं, साहित्यिक प्रतिमान भी।

सम्मान : ‘हिन्दुस्तान अकादमी पुरस्कार’, ‘मंगला प्रसाद पुरस्कार’, हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा ‘साहित्य वाचस्पति’, ‘पद्म भूषण’ आदि से सम्मानित।

निधन : 12 दिसम्बर, 1964

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