Jivan Jaisa Jiya

Author: Chandrashekhar
Editor: Suresh Sharma
Edition: 2018, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
As low as ₹269.10 Regular Price ₹299.00
10% Off
In stock
SKU
Jivan Jaisa Jiya
- +
Share:

पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर की यह आत्मकथा सिर्फ़ उनकी निजी ज़ि‍न्दगी की कहानी नहीं है। यह उनके समय का प्रामाणिक दस्तावेज़ भी है। वे आज़ादी के बाद की निर्णायक राजनैतिक घटनाओं से जुड़े रहे। उन घटनाओं को एक निश्चित दिशा देने में उन्होंने ऐतिहासिक भूमिका भी निभाई। इसलिए उनकी इस आत्मकथा में उनके दौर का अनुद्घाटित इतिहास सुरक्षित है। अपने समय के अनेक व्यक्तित्वों और घटनाओं के बारे में उन्होंने ऐसी जानकारियाँ भी दी हैं जिनसे समकालीन राजनैतिक-सामाजिक इतिहास को समझने के लिए नए तथ्य प्राप्त होते हैं।

बलिया के एक किसान परिवार में जनमे चन्द्रशेखर अपनी जीवन-यात्रा में अनेक पड़ावों से गुज़रे। स्वाधीनता-आन्दोलन में शिरकत की। आज़ादी के बाद समाजवाद के लिए चलाए जानेवाले संघर्ष को आगे बढ़ाया। कांग्रेस को प्रगतिशील बनाने के लिए नए कार्यक्रम रखे। आपातकाल की जेल-यात्रा के बाद जनता पार्टी के पहले अध्यक्ष बने। जनता दल की सरकार के जाने के बाद देश के प्रधानमंत्री पद पर पहुँचे और समझौताविहीन व्यक्तित्व के कारण अन्तत: इस्तीफ़ा दिया। उदारीकरण और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के नव-साम्राज्यवाद का वे विरोध करते रहे। उनकी इस आत्मकथा में बाहरी संसार के अलावा उनके व्यक्तित्व की गहरी संवेदनशीलता और मानवीय पक्ष का वृत्तान्त भी शामिल है। हिन्दी में आत्मकथा साहित्य की परम्परा में चन्द्रशेखर की यह आत्मकथा एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2002
Edition Year 2018, Ed. 2nd
Pages 220p
Translator Not Selected
Editor Suresh Sharma
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 2
Write Your Own Review
You're reviewing:Jivan Jaisa Jiya
Your Rating
Chandrashekhar

Author: Chandrashekhar

चन्द्रशेखर

17 अप्रैल, 1927 को बलिया ज़‍िले के इब्राहीम पट्टी गाँव में जन्म। पिता : सदानन्द सिंह, माँ : द्रौपदी देवी। 1945 में द्विजा देवी से विवाह। 1947 में माँ का निधन। आरम्भिक शिक्षा गाँव में। 1949 में बलिया के सतीश चन्द्र कॉलेज से बी.ए.। 1951 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीतिशास्त्र में एम.ए.। इसी वर्ष शोध-कार्य के दौरान आचार्य नरेन्द्रदेव के कहने पर बलिया ज़‍िला सोशलिस्ट पार्टी के मंत्री बने। 1955 में प्रदेश सोशलिस्ट पार्टी के महामंत्री। 1962 में राज्यसभा के लिए चुने गए। 1964 में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। 1967 में कांग्रेस संसदीय दल के मंत्री। 1969 के बाद लगातार कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य। 1972 में हाईकमान के निर्देश के विरुद्ध लड़कर शिमला अधिवेशन में चुनाव समिति के सदस्य चुने गए। 26 जून, 1975 को आपातकाल लागू होने पर गिरफ़्तारी। 19 महीने जेल में। 1977 में जनता पार्टी के अध्यक्ष। इसी वर्ष बलिया से लोकसभा के लिए चुने गए। 10 नवम्बर, 1990 को प्रधानमंत्री बने और 21 जून, 1991 तक इस पद पर रहे। 12 दिसम्बर, 1995 को ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद’ का पुरस्कार। 2004 में बलिया से पुन: लोकसभा के लिए निर्वाचित। 2007 की 8 जुलाई को निधन।

प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ : ‘जीवन जैसा जिया’, ‘मेरी जेल डायरी’, ‘डायनेमिक्स ऑफ़ सोशल चेंज’, ‘रहबरी के सवाल’, ‘चन्द्रशेखर से संवाद’ और ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद चन्द्रशेखर’ (अन्तिम दोनों पुस्तकों के सम्पादक : सुरेश शर्मा)।



Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top