Meri Jail Diary : Vol. 1-2

Author: Chandrashekhar
Edition: 2023, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Meri Jail Diary : Vol. 1-2

एक तरफ आज की राजनीतिक संस्कृति है, दूसरी ओर यह डायरी–इसे पढ़ते हुए आप इस तुलना से बच नहीं सकते।
और यही इस डायरी की बहुत सादा, लेकिन निर्णायक उपलब्धि है। इस डायरी के पन्नों से गुजरते हुए आप अनायास ही अपने आपको एक आश्चर्य की दुनिया में पाते हैं, कि क्या राजनेता भी ऐसा होता है ! क्या राजनीति में सक्रिय कोई व्यक्ति गिलहरियों, चींटियों और चिड़ियाओं के दुख-दर्द के बारे में भी सोच सकता है ?और न सिर्फ सोचता ही है, बल्कि बाकायदा चिंतित होकर उनके दुख-दर्दों को अपनी डायरी के पन्नों पर अंकित भी करता है।
जो लोग रोज मन लगाकर अखबार पढ़ते हैं और जो ऊबकर मात्र हेडलाइनों तक सिमट गए हैं, वे दोनों ही यह जानकर आश्चर्यचकित हो सकते हैं कि इस डायरी का लेखक जेल में रहते हुए भी राजनीतिक सक्रियता को ‘मिस’ नहीं कर रहा है, बल्कि अपने विद्रोही तेवरों से मुख्यधारा में उल्लेखनीय लहरें पैदा कर चुकने के बावजूद जेल के अपने कमरे में वह एक चित्रकार होना चाहता है। वह चाहता है कि काश, तूलिका उसका औजार होती ! उसी कमरे में बैठकर वह फाँसी की क्रूर प्रथा पर सिहरता है, कैदियों की विवशता पर शोकाकुल होता है, और होता है वक्त के साथ मुखौटा बदल लेने वाले दोस्तों पर क्रोधित और उदास भी।
यह सब एक अत्यंत संवेदनशील व्यक्ति के पोट्रेट की रेखाएँ हैं, जो अपने शारीरिक कष्ट को इसलिए भी छिपाता रहता है कि कहीं जेल-कर्मचारी परेशान न हों ! ऐसा संवेदनशील व्यक्ति ‘नेता’ के उस फ्रेम में फिट नहीं बैठता, जो इधर जनमानस में नेता की ‘छवि’ बनी है। लेकिन इस डायरी के पन्नों में वह व्यक्ति सुरक्षित है–अपनी पूरी संवेदनाओं के साथ, जिसमें दर्द है, पीड़ा है–उन पीड़ितों के प्रति, जो देश में प्रचुर संसाधनों के बावजूद कष्टमय जीवन जीने के लिए अभिशप्त हैं, और इसीलिए यह डायरी एक विशेष कृति के रूप में पठनीय और संग्रहणीय है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2002
Edition Year 2023, Ed. 2nd
Pages 873p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 5.5
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Chandrashekhar

Author: Chandrashekhar

चन्द्रशेखर

17 अप्रैल, 1927 को बलिया ज़‍िले के इब्राहीम पट्टी गाँव में जन्म। पिता : सदानन्द सिंह, माँ : द्रौपदी देवी। 1945 में द्विजा देवी से विवाह। 1947 में माँ का निधन। आरम्भिक शिक्षा गाँव में। 1949 में बलिया के सतीश चन्द्र कॉलेज से बी.ए.। 1951 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीतिशास्त्र में एम.ए.। इसी वर्ष शोध-कार्य के दौरान आचार्य नरेन्द्रदेव के कहने पर बलिया ज़‍िला सोशलिस्ट पार्टी के मंत्री बने। 1955 में प्रदेश सोशलिस्ट पार्टी के महामंत्री। 1962 में राज्यसभा के लिए चुने गए। 1964 में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। 1967 में कांग्रेस संसदीय दल के मंत्री। 1969 के बाद लगातार कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य। 1972 में हाईकमान के निर्देश के विरुद्ध लड़कर शिमला अधिवेशन में चुनाव समिति के सदस्य चुने गए। 26 जून, 1975 को आपातकाल लागू होने पर गिरफ़्तारी। 19 महीने जेल में। 1977 में जनता पार्टी के अध्यक्ष। इसी वर्ष बलिया से लोकसभा के लिए चुने गए। 10 नवम्बर, 1990 को प्रधानमंत्री बने और 21 जून, 1991 तक इस पद पर रहे। 12 दिसम्बर, 1995 को ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद’ का पुरस्कार। 2004 में बलिया से पुन: लोकसभा के लिए निर्वाचित। 2007 की 8 जुलाई को निधन।

प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ : ‘जीवन जैसा जिया’, ‘मेरी जेल डायरी’, ‘डायनेमिक्स ऑफ़ सोशल चेंज’, ‘रहबरी के सवाल’, ‘चन्द्रशेखर से संवाद’ और ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद चन्द्रशेखर’ (अन्तिम दोनों पुस्तकों के सम्पादक : सुरेश शर्मा)।



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