Halyog

Author: Markandey
Edition: 2012, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
As low as ₹76.00 Regular Price ₹95.00
20% Off
In stock
SKU
Halyog
- +
Share:

मार्कण्डेय की अब तक असंकलित कहानियों का संग्रह 'हलयोग' व्यवहार रूप में परिणत होकर अब आपके हाथ में है। इस संग्रह में कुल बीस कहानियाँ हैं। इन कहानियों का कोई क्रम नहीं है, कोशिश बस इतनी है कि ग्रामीण यथार्थ और संवेदना से जुड़ी कहानियाँ शुरू में एक साथ हों। ख़ास बात यह कि इसमें उनकी लिखी पहली कहानी ‘ग़रीबों की बस्ती' और अन्तिम, लिखी जा रही कहानी ‘खुशहाल ठाकुर’ संकलित है। कुल मिलाकर यह संग्रह भी बदलते समय, जीवन और उसके भीतर के प्रतिरोधी स्वर के बीच मार्कण्डेय की ख़ास राजनीतिक और वैचारिक सचेतनता लिए हुए है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2012
Edition Year 2012, Ed. 1st
Pages 153p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1.3
Write Your Own Review
You're reviewing:Halyog
Your Rating
Markandey

Author: Markandey

मार्कण्डेय

2 मई, 1930 में गाँव—बराई, ज़‍िला—जौनपुर में जन्मे मार्कण्डेय की प्राथमिक शिक्षा गाँव में हुई। उन्‍होंने आगे की पढाई प्रतापगढ़ और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अर्जित की।

मार्कण्डेय गहरे अर्थों में भारतीय सामाजिक चेतना के एक विरल कथाकार हैं। उन्होंने अपनी कहानी का आरम्भ वहीं से किया जहाँ प्रेमचन्द ने कहानी को छोडा था। प्रेमचन्द की ही तरह मार्कण्डेय भी मूलत: देशज संवेदना के कथाकार हैं। प्रेमचन्द की परम्परा से मार्कण्डेय का रिश्ता महज़ ग्रामीण यथार्थ का ही न होकर उस समूचे सामाजिक ताने-बाने का भी है जिसके बिना न तो किसी पारम्परिक समाज को समझा जा सकता है और न उसके आगत की आहटें सुनी जा सकती हैं। मार्कण्डेय देश के राजनीतिक जनतंत्र का उत्सवीकरण करने के बजाय अपनी कहानियों में उसका सामाजिक और आर्थिक क्रिटीक रचते हैं।

प्रमुख कृतियाँ—उपन्यास—'सेमल के फूल', ‘अग्निबीज’; ‘पानफूल’, ‘हंसा जाई अकेला’, ‘महुए का पेड़’, ‘भूदान’, ‘माही’, ‘सहज और शुभ’, ‘बीच के लोग’, ‘हलयोग’; एकांकी-संग्रह—‘पत्थर व परछाइयाँ’; काव्य-संग्रह—'सपने तुम्हारे थे', ‘यह पृथ्वी तुम्हें देता हूँ’; आलोचना—‘कहानी की बात’, ‘नयी कहानी : यथार्थवादी नजरिया’, ‘प्रगतिशील साहित्य की ज़ि‍म्मेदारी’; ‘कल्पना’ में चक्रधर नाम से लिखा गया स्तम्भ ‘चक्रधर की साहित्यधारा' (साहित्य-संवाद) आदि। प्रसिद्ध साहित्यिक पत्रिका ‘कथा’ का सम्‍पादन।  

निधन : 18 मार्च, 2010 ।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top