Gyan Hai To Jahan Hai

Author: Gyan Chaturvedi
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Gyan Hai To Jahan Hai
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एक ऐसी किताब जो स्वस्थ सेहत और अनुकूल दिनचर्या के साथ डॉक्टरी परामर्श देती है। जिसे ठीक ही मुहावरेनुमा भाषा में ‘ज्ञान है तो जहान है’ का शीर्षक दिया गया है। लेखक का दावा है कि इस किताब में शामिल लेख पाठकों को उस तिलिस्म की मास्टर-की सौंपेगी जिसे तकनीकी शब्दावली में ‘मेडिकल विज्ञान’ कहते हैं। इन्हीं आधारों पर यह किताब अपने आप में रोचक और पठनीय बन पड़ती है।

इन लेखों में, सरल भाषा तथा रोचक शैली में बीपी, ऑस्टियोपोरोसिस, हार्ट अटैक, स्त्री रोग से लेकर हिस्टीरिया तथा बहुत सारी अन्य कॉमन बीमारियों के बारे में बेहद महत्त्वपूर्ण बातें बतलाई गई हैं; जिसमें पाठकों की जिज्ञासाओं और उनके विषय में जानकारियों के साथ समाधान के कई नए द्वार खुलते हैं। इस तरह यह किताब सामान्य जन के लिए तो लाभदायक है ही, जनरल डॉक्टरों, विशेषज्ञों तथा सुपर स्पेशलिस्टों के लिए भी ये अवश्य ही बेहद रुचिकर सिद्ध होगी। किन्तु ज्ञात हो कि मेडिकल साइंस निरन्तर बढ़ती और बदलती विद्या है इसलिए लेखक का मानना है कि यदि इस किताब के लेखों को पढ़ते हुए पाठक कहीं असहमत हों तो डॉक्टर से मिलकर उस विषय में पड़ताल करके ही सहमत हों, ताकि चिकित्सा सम्बन्धी भ्रांतियों का सावधानीपूर्वक निदान मिल सके।

बीमारियों को लेकर फैले भ्रमों को दूर कर उपचार और स्वास्थ्य की सटीक जानकारी देने वाली यह किताब स्वास्थ्य के लिए जिज्ञासु व्यक्तियों के साथ घर-घर के लिए बहुत ही अनिवार्य बन पड़ी है।

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 264p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Gyan Chaturvedi

Author: Gyan Chaturvedi

ज्ञान चतुर्वेदी

 

मऊरानीपुर (झाँसी) उत्तर प्रदेश  में 2 अगस्त, 1952 को जन्मे डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी की मध्य प्रदेश में ख्यात हृदयरोग विशेषज्ञ के रूप में विशिष्ट पहचान है। चिकित्सा शिक्षा के दौरान सभी विषयों में ‘स्वर्ण पदक’ प्राप्त करनेवाले छात्र का गौरव हासिल किया। भारत सरकार के एक संस्थान (बी.एच.ई.एल.) के चिकित्सालय में कोई तीन दशक से ऊपर सेवाएँ देने के पश्चात् शीर्षपद से सेवा-निवृत्ति।

लेखन की शुरुआत सत्तर के दशक से ‘धर्मयुग’ से। प्रथम उपन्यास ‘नरक-यात्रा’ अत्यन्त चर्चित रहा, जो भारतीय चिकित्सा-शिक्षा और व्यवस्था पर था। इसके पश्चात् ‘बारामासी’, ‘मरीचिका’ तथा ‘हम न मरब’ जैसे उपन्यास आए।

दस वर्षों तक ‘इंडिया टुडे’ तथा ‘नया ज्ञानोदय’ में नियमित स्तम्भ। इसके अतिरिक्त ‘राजस्थान पत्रिका’ और ‘लोकमत समाचार’ दैनिकों में भी काफ़ी समय तक व्यंग्य स्तम्भ-लेखन।

अभी तक तक़रीबन हज़ार व्यंग्य रचनाओं का प्रकाशन। ‘प्रेत कथा’, ‘दंगे में मुर्गा’, ‘मेरी इक्यावन व्यंग्य रचनाएँ’, ‘बिसात बिछी है’, ‘ख़ामोश! नंगे हमाम में हैं’, ‘प्रत्यंचा’ और ‘बाराखड़ी’ व्यंग्य-संग्रह।

शरद जोशी के ‘प्रतिदिन’ के प्रथम खंड का अंजनी चौहान के साथ सम्पादन।

भारत सरकार द्वारा 2015 में ‘पद्मश्री’ से सम्मानित। ‘राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान’, (म.प्र. सरकार); दिल्ली अकादमी का व्यंग्य-लेखन के लिए दिया जानेवाला प्रतिष्ठित ‘अकादमी सम्मान’; ‘अन्तरराष्ट्रीय इन्दु शर्मा कथा-सम्मान’ (लन्दन) तथा ‘चकल्लस पुरस्कार’ के अलावा कई विशिष्ट सम्मान।

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