Gonu Jha Ki Anokhi Duniya

मिथिलांचल मखाना में गोनू झा के किस्से उसी तरह प्रचलित हैं जैसे मछली और मखाना। कहते हैं कि बिना मछली और मखाना के मिथिलांचल में कोई शुभ कार्य नहीं होता और बिना गोनू झा के क़िस्सों के कोई जलसा सम्पन्न नहीं होता।
मिथिलांचल में पाँच सौ साल पहले अज्ञान भी था और अभाव भी। चोरी, ठगी आदि के क़िस्सों से इस बात का अन्दाज़ सहज ही लग जाता है। साधु-महात्माओं के क़िस्से भी गोनू झा के क़िस्सों के साथ-साथ चलते हैं। गोनू झा के प्रचलित क़िस्सों से पता चलता है कि मिथिलांचल के तत्कालीन समाज में अन्धविश्वासों का व्यापक प्रभाव था। जादू, टोना-टोटका आदि के सहारे लोग अपनी शक्ति और सामर्थ्य बढ़ाने का प्रयास करते थे।
कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि गोनू झा के जीवनकाल की घटनाओं के साथ ही विभिन्न काल खंडों में गोनू झा के क़िस्सों में नए क़िस्से भी जुड़ते गए हैं जिसके कारण पाँच शताब्दियों के बाद भी गोनू झा के क़िस्से नयापन लिए हमारे सामने आ रहे हैं। आते ही जा रहे हैं। ये क़िस्से रोचक हैं। मनोरंजक हैं और ज्ञानवर्द्धक भी। लगन, मेहनत, धैर्य, वाक्पटुता अवसर की समझ जैसे कई गुण इन क़िस्सों में पिरोए गए हैं, जो अनजाने ही पाठकों के मन में घर कर जाते हैं।
Language | Hindi |
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Format | Hard Back, Paper Back |
Publication Year | 2012 |
Edition Year | 2022, Ed. 6th |
Pages | 252P |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 22 X 14 X 1.5 |
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