Gudiya Rang Bharegi : Gudiya Aur Pariwar

You Save 10%
Out of stock
Only %1 left
SKU
Gudiya Rang Bharegi : Gudiya Aur Pariwar

‘गुड़िया रंग भरेगी’ शृंखला एक दादा द्वारा अपनी प्यारी-दुलारी पोती के लिए लिखी गई कविताओं की शृंखला है। इस शृंखला की पुस्तक ‘गुड़िया और परिवार’ में गुड़िया के परिवार के सभी सदस्यों के साथ गुड़िया की शरारतों, गुड़िया के लिए उनके प्यार को व्यक्त करती कविताएं संकलित हैं। एक प्यारी बच्ची की खिलखिलाहटें कैसे पूरे घर-परिवार को रौशन रखती हैं—इन कविताओं को पढ़ कर पता चलता है। एक दादा के प्यार-दुलार और ममत्व को संप्रेषित करने वाले ये कविताएं पढ़ने वाले के मन को मोह लेती हैं। मासूमियत, निश्छलता और स्नेह से भरी ये कविताएं पढ़ने वालों को तमाम रंगों से भर देती हैं।

यह सिर्फ़ कविताओं की ही नहीं बल्कि रंगों की भी किताब है। कविताओं वाली यह कलरिंग बुक बच्चों को कविताओं के साथ साथ कलर करने की खुशी भी देगी।

पुस्तक के चित्र और चित्रों के बीच कविताएं उसे आकर्षक और रोचक बनाती हैं।

बच्चों के लिए एक सुंदर उपहार।

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 32p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18 X 24 X 0.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Gudiya Rang Bharegi : Gudiya Aur Pariwar
Your Rating
Ashok Maheshwari

Author: Ashok Maheshwari

अशोक महेश्वरी 

9 अक्टूबर, 1957 को उत्तर प्रदेश के हापुड़ में एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे अशोक महेश्वरी ने रूहेलखंड विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिन्दी साहित्य) की पढ़ाई पूरी की। वे 1974 में प्रकाशन की दुनिया में सक्रिय हुए। 1978 में 'वाणी प्रकाशन' का कार्यभार सँभाला। इसे सफलता की राह में तेज़ी से आगे बढ़ाते हुए 1988 में हिन्दी के प्रमुख प्रकाशनों में एक 'राधाकृष्ण प्रकाशन' का कार्यभार भी सँभाला। 1991 में 'वाणी प्रकाशन' की ज़‍िम्मेदारी से अलग हो गए। 1994 में हिन्दी साहित्य के सर्वाधिक प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्थान 'राजकमल प्रकाशन' के प्रबन्ध निदेशक बने। 'राजकमल' और 'राधाकृष्ण प्रकाशन' को प्रगति-पथ पर आगे बढ़ाते हुए 2005 में 'लोकभारती प्रकाशन' का भी कार्यभार सँभाला। फ़‍िलहाल वे हिन्दी के तीन प्रमुख साहित्यिक प्रकाशनों के समूह 'राजकमल प्रकाशन समूह' के अध्यक्ष हैं। 

इनकी कुछ बालोपयोगी पुस्तकें काफ़ी चर्चित हैं

Read More
Books by this Author
Back to Top