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Gonu Jha Ki Anokhi Duniya-Paper Back

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9788183615778
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मिथिलांचल में गोनू झा के किस्से उसी तरह प्रचलित हैं जैसे मछली और मखाना! कहते हैं कि बिना मछली और मखाना के मिथिलांचल में कोई शुभ कार्य नहीं होता और बिना गोनू झा के किस्सों के कोई जलसा सम्पन्न नहीं होता।
मिथिलांचल में पाँच सौ साल पहले अज्ञान भी था और अभाव भी। चोरी, ठगी आदि के किस्सों से इस बात का अन्दाज सहज ही लग जाता है। साधु-महात्माओं के किस्से भी गोनू झा के किस्सों के साथ-साथ चलते हैं। इन किस्सों से पता चलता है कि मिथिलांचल के तत्कालीन समाज में अन्धविश्वासों का व्यापक प्रभाव था। जादू, टोना-टोटका आदि के सहारे लोग अपनी शक्ति और सामर्थ्य बढ़ाने का प्रयास करते थे।
कुछ शोधकर्ताओं का मानना है कि गोनू झा के जीवनकाल की घटनाओं के साथ ही विभिन्न काल-खंडों में उनके किस्सों में नए किस्से भी जुड़ते गए हैं जिसके कारण पाँच शताब्दियों के बाद भी ये किस्से नयापन लिये हमारे सामने आ रहे हैं और आते ही जा रहे हैं। ये किस्से रोचक हैं, मनोरंजक हैं और ज्ञानवर्द्धक भी। लगन, मेहनत, धैर्य, वाक्पटुता, अवसर की समझ जैसे कई गुण इन किस्सों में पिरोए गए हैं, जो अनजाने ही पाठकों के मन में घर कर जाते हैं।

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2013
Edition Year 2023, Ed. 5th
Pages 252P
Price ₹250.00
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Ashok Maheshwari

Author: Ashok Maheshwari

अशोक महेश्वरी 

9 अक्टूबर, 1957 को उत्तर प्रदेश के हापुड़ में एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्मे अशोक महेश्वरी ने रूहेलखंड विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिन्दी साहित्य) की पढ़ाई पूरी की। वे 1974 में प्रकाशन की दुनिया में सक्रिय हुए। 1978 में 'वाणी प्रकाशन' का कार्यभार सँभाला। इसे सफलता की राह में तेज़ी से आगे बढ़ाते हुए 1988 में हिन्दी के प्रमुख प्रकाशनों में एक 'राधाकृष्ण प्रकाशन' का कार्यभार भी सँभाला। 1991 में 'वाणी प्रकाशन' की ज़‍िम्मेदारी से अलग हो गए। 1994 में हिन्दी साहित्य के सर्वाधिक प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्थान 'राजकमल प्रकाशन' के प्रबन्ध निदेशक बने। 'राजकमल' और 'राधाकृष्ण प्रकाशन' को प्रगति-पथ पर आगे बढ़ाते हुए 2005 में 'लोकभारती प्रकाशन' का भी कार्यभार सँभाला। फ़‍िलहाल वे हिन्दी के तीन प्रमुख साहित्यिक प्रकाशनों के समूह 'राजकमल प्रकाशन समूह' के अध्यक्ष हैं। 

इनकी कुछ बालोपयोगी पुस्तकें काफ़ी चर्चित हैं

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