चन्द्रकान्त वानखेड़े का जन्म 15 अक्टूबर, 1951 को हुआ। वे महाराष्ट्र के साहित्य और पत्रकारिता जगत का जाना-पहचाना नाम हैं। 1971 के दौरान वे जेपी द्वारा स्थापित ‘तरुण शान्ति सेना’ के सक्रिय सदस्य रहे। बाद में छात्र युवा संघर्ष वाहिनी, महाराष्ट्र के संयोजक भी रहे। उन्होंने विभिन्न विषयों पर किताबें लिखी हैं। उनकी आत्मकथा ‘आपुलाचीवाद आपणासी’ को ‘महाराष्ट्र राज्य शासन पुरस्कार’, ‘पद्मश्री विखे पाटिल पुरस्कार’, ‘विदर्भ साहित्य संघ पुरस्कार’ आदि कई पुरस्कार मिल चुके हैं। इसकी कई आवृत्तियाँ भी प्रकाशित हुई हैं। उनकी अन्य महत्त्वपूर्ण पुस्तकें हैं—‘पुनर्विचार’, ‘एका साध्या सत्त्यासाठी’, ‘गांधी का मरत नाही’। ‘गांधी का मरत नाही’ पुस्तक ‘गांधी क्यों नहीं मरते!’ नाम से अनूदित है।
वे महाराष्ट्र के चर्चित अखबार ‘सकाल’ के सम्पादक रहे। और भी कई अखबारों के साथ जुड़े रहे। फिलहाल लेखन कार्य में सक्रिय हैं।