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Dalit Sahitya : Anubhav, Sangharsh Evam Yatharth-E-Book

Edition: 2020, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
Special Price ₹187.50 Regular Price ₹250.00
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9788183619455-ebook

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प्रस्तुत पुस्तक में दलित साहित्य की अन्त:चेतना को समझने की कोशिश की गई है जिसमें कवि-कहानीकार के रूप में दलित रचनाकार को अपनी रचना-प्रक्रिया के द्वारा दलित साहित्य की आन्तरिकता को तलाश करने के लिए कई स्तरों पर संघर्ष करना पड़ता है।

दलित लेखक किसी समूह, मसलन—किसी जाति विशेष, सम्प्रदाय के ख़‍िलाफ़ नहीं है, व्यवस्था के विरुद्ध है। दलितों की प्राथमिक आवश्यकता अपनी अस्मिता की तलाश है, जो हज़ारों साल के इतिहास में दबा दी गई है। दलित साहित्य में जो आक्रोश दिखाई देता है, वह ऊर्जा का काम कर रहा है जिसकी उपस्थिति को ग़ैर-दलित आलोचक नकारात्मकता की दृष्टि से देखते हैं, जबकि वह दलित साहित्य को गतिशीलता के साथ जीवन्त भी बनाता है। आज भी भारत में जाति-व्यवस्था का अमानवीय रूप अनेक प्रतिभाओं के विनाश का कारण बनता है। लेकिन भारतीय मनीषा की महानता पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। आज भी दलितों को पीने के पानी तक के लिए संघर्ष करना पड़ता है, दलित आत्मकथाएँ इन सबको पूरी ईमानदारी से बेनक़ाब करती हैं। दलित कहानियाँ समाज में रचे-बसे जातिवाद की भयावह स्थितियों से संघर्ष करने के साथ-साथ समाज में घृणा की जगह प्रेम की पक्षधरता दिखाती हैं। भारतीय समाज-व्यवस्था की असमानता पर आधारित जीवन की विषमताओं, विसंगतियों के बीच से दलित कविता का जन्म हुआ है जो नकार, विद्रोह और संघर्ष की चेतना के साथ सामाजिक बदलाव के लिए प्रतिबद्ध है, वह जीवन-मूल्यों की पक्षधर है। आलोचक उसके रूप और शिल्प-विधान को तलाश करते हुए उसकी आन्तरिक ऊर्जा को नहीं देखते हैं। दलित साहित्य-विमर्श में यदि यह पुस्तक कुछ जोड़ पाती है तो मुझे बेहद ख़ुशी होगी।    

—भूमिका से

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2020
Edition Year 2020, Ed. 1st
Pages 160p
Price ₹250.00
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Omprakash Valmiki

Author: Omprakash Valmiki

ओमप्रकाश वाल्मीकि

 

जन्म : 30 जून, 1950; बरला, जिला—मुज़फ़्फ़रनगर, उत्तर प्रदेश।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी साहित्य)।

प्रकाशित कृतियाँ : ‘सदियों का संताप’, ‘बस्स! बहुत हो चुका’, ‘अब और नहीं’, ‘शब्द झूठ नहीं बोलते’, ‘चयनित कविताएँ’ (कविता संग्रह); ‘जूठन’ (आत्मकथा) अँग्रेज़ी, जर्मन, स्वीडिश, पंजाबी, तमिल, मलयालम, कन्नड़, तेलगू में अनूदित एवं प्रकाशित; ‘सलाम’, ‘घुसपैठिए’ ‘अम्मा एंड अदर स्टोरीज’, ‘छतरी’ (कहानी-संग्रह); ‘दलित साहित्य का सौन्दर्यशास्त्र’, ‘मुख्यधारा और दलित साहित्य’, ‘दलित साहित्य : अनुभव, संघर्ष और यथार्थ’ (आलोचना); ‘सफाई देवता’ (सामाजिक अध्ययन)।

अनुवाद : ‘सायरन का शहर’ (अरुण काले) कविता-संग्रह का मराठी से हिन्दी में अनुवाद, ‘मैं हिन्दू क्यों नहीं’ (कांचा एलैया) का अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद, ‘लोकनाथ यशवन्त’ की अनेक मराठी कविताओं का हिन्दी में अनुवाद।

अन्य : लगभग 60 नाटकों में अभिनय एवं निर्देशन, विभिन्न नाट्य-दलों द्वारा ‘दो चेहरे’ का मंचन, ‘जूठन’ के नाट्य-रूपान्तरण का कई नगरों में मंचन; अनेक राष्ट्रीय सेमिनारों में हिस्सेदारी, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ में पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में कई व्याख्यान, कई विश्वविद्यालयों, पाठ्यक्रमों में रचनाएँ शामिल, प्रथम हिन्दी दलित साहित्य सम्मेलन, 1993, नागपुर के अध्यक्ष, 28वें अस्मितादर्श साहित्य सम्मेलन, 2008, चन्द्रपुर, महाराष्ट्र के अध्यक्ष, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, राष्ट्रपति निवास, शिमला सोसाइटी के सदस्य।

सम्मान : ‘डॉ. अम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार’, (1993); ‘परिवेश सम्मान’, (1995); ‘जयश्री सम्मान’, (1996); ‘कथाक्रम सम्मान’ (2001); ‘न्यू इंडिया बुक पुरस्कार’, (2004); ‘साहित्य भूषण सम्मान’, (2006); 8वाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन, (2007), न्यूयॉर्क, ‘अमेरिका सम्मान’, ‘उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का सम्मान’।

निधन : 17 नवम्बर, 2013

 

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