Salaam

Fiction : Stories
As low as ₹159.20 Regular Price ₹199.00
You Save 20%
In stock
Only %1 left
SKU
Salaam
- +

‘दलित लेखन दलित ही कर सकता है’ को पारम्परिक सोच के ही नहीं, प्रगतिशील कहे जानेवाले आलोचकों ने भी संकीर्णता से लिया है। दलित-विमर्श साहित्य में व्याप्त छद्म को उघाड़ रहा है। साहित्य में जो भी अनुभव आते हैं वे सार्वभौमिक और शाश्वत नहीं होते।

इन सन्दर्भों में ओमप्रकाश वाल्मीकि की कहानियाँ दलित जीवन की संवेदनशीलता और अनुभवों की कहानियाँ हैं, जो एक ऐसे यथार्थ से साक्षात्कार कराती हैं, जहाँ हज़ारों साल की पीड़ा अँधेरे कोनों में दुबकी पड़ी है।

वाल्मीकि के इस संग्रह की कहानियाँ दलितों के जीवन-संघर्ष और उनकी बेचैनी के जीवन्त दस्तावेज़ हैं, दलित जीवन की व्यथा, छटपटाहट, सरोकार इन कहानियों में साफ़-साफ़ दिखाई पड़ते हैं।

ओमप्रकाश वाल्मीकि ने जहाँ साहित्य में वर्चस्व की सत्ता को चुनौती दी है, वहीं दबे-कुचले, शोषित-पीड़ित जन-समूह को मुखरता देकर उनके इर्द-गिर्द फैली विसंगतियों पर भी चोट की है। जो दलित विमर्श को सार्थक और गुणात्मक बनाती है।

समकालीन हिन्दी कहानी में दलित-चेतना की दस्तक देनेवाले कथाकार ओमप्रकाश वाल्मीकि की ये कहानियाँ अपने आप में विशिष्ट हैं। इन कहानियों में वस्तु जगत का आनन्द नहीं, दारुण दुःख भोगते मनुष्यों की बेचैनी है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2000
Edition Year 2020, Ed 5th
Pages 132p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Write Your Own Review
You're reviewing:Salaam
Your Rating

Editorial Review

It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here

Omprakash Valmiki

Author: Omprakash Valmiki

ओमप्रकाश वाल्मीकि

 

जन्म : 30 जून, 1950; बरला, जिला—मुज़फ़्फ़रनगर, उत्तर प्रदेश।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी साहित्य)।

प्रकाशित कृतियाँ : ‘सदियों का संताप’, ‘बस्स! बहुत हो चुका’, ‘अब और नहीं’, ‘शब्द झूठ नहीं बोलते’, ‘चयनित कविताएँ’ (कविता संग्रह); ‘जूठन’ (आत्मकथा) अँग्रेज़ी, जर्मन, स्वीडिश, पंजाबी, तमिल, मलयालम, कन्नड़, तेलगू में अनूदित एवं प्रकाशित; ‘सलाम’, ‘घुसपैठिए’ ‘अम्मा एंड अदर स्टोरीज’, ‘छतरी’ (कहानी-संग्रह); ‘दलित साहित्य का सौन्दर्यशास्त्र’, ‘मुख्यधारा और दलित साहित्य’, ‘दलित साहित्य : अनुभव, संघर्ष और यथार्थ’ (आलोचना); ‘सफाई देवता’ (सामाजिक अध्ययन)।

अनुवाद : ‘सायरन का शहर’ (अरुण काले) कविता-संग्रह का मराठी से हिन्दी में अनुवाद, ‘मैं हिन्दू क्यों नहीं’ (कांचा एलैया) का अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद, ‘लोकनाथ यशवन्त’ की अनेक मराठी कविताओं का हिन्दी में अनुवाद।

अन्य : लगभग 60 नाटकों में अभिनय एवं निर्देशन, विभिन्न नाट्य-दलों द्वारा ‘दो चेहरे’ का मंचन, ‘जूठन’ के नाट्य-रूपान्तरण का कई नगरों में मंचन; अनेक राष्ट्रीय सेमिनारों में हिस्सेदारी, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ में पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में कई व्याख्यान, कई विश्वविद्यालयों, पाठ्यक्रमों में रचनाएँ शामिल, प्रथम हिन्दी दलित साहित्य सम्मेलन, 1993, नागपुर के अध्यक्ष, 28वें अस्मितादर्श साहित्य सम्मेलन, 2008, चन्द्रपुर, महाराष्ट्र के अध्यक्ष, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, राष्ट्रपति निवास, शिमला सोसाइटी के सदस्य।

सम्मान : ‘डॉ. अम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार’, (1993); ‘परिवेश सम्मान’, (1995); ‘जयश्री सम्मान’, (1996); ‘कथाक्रम सम्मान’ (2001); ‘न्यू इंडिया बुक पुरस्कार’, (2004); ‘साहित्य भूषण सम्मान’, (2006); 8वाँ विश्व हिन्दी सम्मेलन, (2007), न्यूयॉर्क, ‘अमेरिका सम्मान’, ‘उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का सम्मान’।

निधन : 17 नवम्बर, 2013

 

Read More
Books by this Author

Back to Top