Awazein Kanpti Rahin

Author: Anagh Sharma
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Awazein Kanpti Rahin
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हिन्दी कहानी के लिए यह परम्परा और परिवर्तन के बीच का संक्रमण-काल है। मनुष्य के भाव-जगत और कल्पना के विस्तार के नए आयामों के साथ नई पीढ़ी के जिन कथाकारों ने पिछले दशक में अपने नवाचार से पाठकों का ध्यान आकर्षित किया है, अनघ शर्मा उनमें शामिल हैं। उनकी कहानियाँ अपने कथ्य की नवीनता से कथावस्तु को उजागर करती हैं। इस प्रक्रिया में संवेदना की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है, जिसका निर्वाह इस संकलन की कहानियों की विशेषता है। जीवन के बेहद मामूली लगने वाले क्षणों के गर्भ में पलते संघर्षों और त्रासदी को अर्थवत्ता के साथ सम्प्रेषित करने वाली ये कहानियाँ मानवीय सम्बन्धों का मार्मिक आख्यान रचती हैं।

अनघ शर्मा के पास एक समर्थ कथा-भाषा है, बिना कविता हुए, कविता की भाषा तक पहुँचती कथा-भाषा। स्थितियों ही नहीं, व्यवहारों और घटनाओं के महीन ब्यौरों को जीवंतता के साथ रचने वाली उनकी कथा-भाषा जीवन के मर्म को उकेरती है। घटित हुई त्रासदी की टीस हो या मन के गह्वरों में पलते उल्लास की धड़कन, इनका रचाव इतना प्राणवंत है कि पाठक के भीतर की दुनिया बदलने लगती है। जीवन के अंतर्विरोधों की पहचान और अभिव्यक्ति के लिए यथार्थ की संश्लिष्टता से लेखक का टकराव जिन ध्वनियों को पैदा करता है, उनके पार जाकर अनघ शर्मा अपनी कहानियों के लिए बीज-तत्त्व चुनते हैं। यह बीज-तत्त्व जब विकसित और फलित होता है, जीवन की विराटता प्रकट होती है।

‘आवाज़ें काँपती रहीं’ की कहानियाँ हिन्दी कहानी के समकालीन परिदृश्य पर अपने नवाचार और सांद्र अभिव्यक्ति के चलते अलग और विशिष्ट छवियों के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करती हैं।                         

—हृषीकेश सुलभ

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2022
Edition Year 2022, Ed. 1st
Pages 160p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Anagh Sharma

Author: Anagh Sharma

अनघ शर्मा

अनघ शर्मा का जन्म 27 नवम्बर, 1984 को उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद ज़िले में हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा वहीं से हुई। उत्तर प्रदेश टेक्निकल यूनिवर्सिटी (नोएडा कैम्पस) से एमबीए किया। उनकी पहली कहानी ‘नक़्श फ़रियादी’ 2013 में ‘समकालीन भारतीय साहित्य’ पत्रिका में प्रकाशित हुई। पहला कहानी-संग्रह ‘धूप की मुँडेर’ 2019 में और दूसरा कहानी-संग्रह ‘आवाज़ें काँपती रहीं’ 2022 में प्रकाशित हुआ। ‘नीली दीवार की परछाइयाँ’ उनका पहला उपन्यास है। हिन्दी की लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में कहानियाँ प्रकाशित हुई हैं। फ़िलहाल नेशनल हॉस्पिटैलिटी इंस्टीट्यूट, मस्कट (ओमान) में होटल मैनेजमेंट पढ़ा रहे हैं।

ई-मेल : anaghsharma@hotmail.com

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