Neeli Deewar Ki Parchhaiyan

Author: Anagh Sharma
As low as ₹179.10 Regular Price ₹199.00
You Save 10%
In stock
Only %1 left
SKU
Neeli Deewar Ki Parchhaiyan
- +

नीली दीवार की परछाइयाँ बहुत धीमे से मन के अन्तर्लोक में प्रवेश करती है। दो साँसों के बीच के अन्तराल में जैसे दीवार पर परछाइयाँ काँपती, सिहरती अपनी कहानी कहती हैं। रौशन बी, राहिला उर्फ़ तलजीत, अमू और अपूर्वा, इन सबके जरिए एक रहस्य बहुत परतों में, बहुत धीरे-से उजागर होता है, जैसे नेपथ्य में जो जीवन था उस पर से किसी ने पर्दा उठा दिया हो।

अनघ के पास भावों की गहराई है, शब्दों और भाषा की जादूगरी है जिसके माध्यम से बहुत मीठेपन में, बहुत बिम्बात्मक तरीक़े से परत-दर-परत कथा खुलती है। भाषा की नज़ाकत के साथ-साथ कथा का रहस्य-रूमान, अवसाद, सुख सब तरंगित होता चलता है। इस उपन्यास में गाँव है, शहर है, देश है, विदेश है, वर्तमान है, अतीत भी है। सारी दुनिया हमारे सामने कभी प्रगट तो कभी सांकेतिक रूप में किसी दृश्य-परिदृश्य की तरह से बहती चलती है। अनघ बहुत प्रत्यक्ष का शिल्प नहीं चुनते। हर बार वो उतनी ज़मीन छोड़ते चलते हैं जहाँ से पाठक भी अपनी कल्पना में उस दुनिया को अपने तरीक़े और नज़र से देखता चले। किताब जब ख़त्म होती है उसका आस्वाद आपके मन में बना रहता है।

राहिला की बीमारी और उसके पिता द्वारा छोड़े जाने की कथा, रौशन बी का अपने चाचा, ताऊ द्वारा बेचा जाना और अमू का बिन पिता के बड़े होना, इन परिस्थितियों के गिर्द अनकहे की, चुप्पियों और तकलीफ़ों की एक दुनिया अनघ बसाते हैं जिसकी उदास छाया बहुत देर तक बनी रहती है—पुराने ज़ख़्म की टीस जैसे। उनके लिखे में एक इंटेंस किस्म का रचाव दिखता है जो पाठक की उँगली थाम उसे उन बीहड़ गलियों में लिए चलता है जिसकी स्मृति में हम कभी प्रसन्न और कभी अनमने उदास हो उठते हैं।

—प्रत्यक्षा

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 144p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 20 X 13 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Neeli Deewar Ki Parchhaiyan
Your Rating
Anagh Sharma

Author: Anagh Sharma

अनघ शर्मा

अनघ शर्मा का जन्म 27 नवम्बर, 1984 को उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद ज़िले में हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा वहीं से हुई। उत्तर प्रदेश टेक्निकल यूनिवर्सिटी (नोएडा कैम्पस) से एमबीए किया। उनकी पहली कहानी ‘नक़्श फ़रियादी’ 2013 में ‘समकालीन भारतीय साहित्य’ पत्रिका में प्रकाशित हुई। पहला कहानी-संग्रह ‘धूप की मुँडेर’ 2019 में और दूसरा कहानी-संग्रह ‘आवाज़ें काँपती रहीं’ 2022 में प्रकाशित हुआ। ‘नीली दीवार की परछाइयाँ’ उनका पहला उपन्यास है। हिन्दी की लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में कहानियाँ प्रकाशित हुई हैं। फ़िलहाल नेशनल हॉस्पिटैलिटी इंस्टीट्यूट, मस्कट (ओमान) में होटल मैनेजमेंट पढ़ा रहे हैं।

ई-मेल : anaghsharma@hotmail.com

Read More
Books by this Author
Back to Top