Atha katha Bajrang bali

Author: Avadhesh Preet
Edition: 2023, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Atha katha Bajrang bali
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अवधेश प्रीत आठवें दशक के उन चर्चित कथाकारों में हैं, जिनकी कहानियों को शीर्ष आलोचकों से लेकर सुधी पाठकों तक ने खुले दिल से सराहा है। वह अपने समय और समाज के ज़रूरी सवालों से टकराते हैं और उनमें न्यस्त स्याह-सफ़ेद की शिनाख़्त करते हुए पाठकों को उन सच्चाइयों तक ले जाते हैं, जो अक्सर अदीठ रह जाती हैं। अवधेश प्रीत की ‘नृशंस’, ‘अलीमंज़िल’, ‘बाबू जी की छतरी’, ‘तालीम’, ‘तीसरी औरत’, ‘हमज़मीन’, ‘चाँद के पार एक चाभी’ जैसी अनेक कहानियाँ हैं,जो अपने कथ्य-वैविध्य, कथा-भाषा और शिल्पगत प्रयोगों के कारण सुधीजनों का ध्यान आकर्षित करती रही हैं। अवधेश प्रीत अपनी कहानियों के ज़रिये उन संवेदनशील प्रान्तरों में भी पहुँचने से नहीं हिचकते, जहाँ रूढ़ियों को तोड़ने के अनेक जोखिम फन काढ़े खड़े हैं।
अवधेश प्रीत के इस संग्रह की कहानियाँ अपने बेबाकपन और कहन की विशिष्टता के कारण चर्चित-प्रशंसित रही हैं। अपनी प्रवाहमयी भाषा, किस्सागोई के दिलचस्प अन्दाज़, यथार्थ, अनुभव और फैंटेसी के प्रयोग से अपने कथा अभीष्ट को उद्घाटित करती ये कहानियाँ मनुष्य की विडम्बना,समाज की संवेदना, साम्प्रदायिकता के रूपान्तरण और राजनीति की जटिलताओं का आख्यान हैं। अनायास नहीं कि इस संग्रह की कहानी 'कजरी' को पढ़कर वरिष्ठ समालोचक विश्वनाथ त्रिपाठी अपनी निजी प्रतिक्रिया में कहते हैं, यह प्रेमचन्द के रंग-ढंग की अद्भुत कहानी है।
अवधेश प्रीत की कहानियाँ जितनी पठनीय होती हैं, उतनी ही चाक्षुष भी। यही कारण है कि उनकी अनेक कहानियों के देश की कई रंग-संस्थाओं ने नाट्य-मंचन किये हैं। अपनी पठनीयता और दृश्यात्मकता के संयोग से अवधेश प्रीत अपनी कहानियों में जो जादू जगाते हैं, वो उन्हें अपने समकालीन लेखकों में पृथक पहचान देती हैं। दरअसल, इस संग्रह की कहानियाँ जादुई यथार्थ की नहीं, यथार्थ में निहित जादुई-शक्ति की कहानियाँ हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 160p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Avadhesh Preet

Author: Avadhesh Preet

अवधेश प्रीत

कथाकार, पत्रकार अवधेश प्रीत का जन्म 13 जनवरी, 1958 को गाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश के ताराँव गाँव में हुआ। पढ़ाई-लिखाई की शुरुआत गाँव से हुई। उच्च शिक्षा कुमाऊँ विश्वविद्यालय, उत्तराखंड से पाई। साहित्य लेखन व रंगकर्म की शुरुआत उधमसिंह नगर से की। 1985 से बिहार में पत्रकारिता करने लगे।

आपकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—‘अशोक राजपथ’ (उपन्यास); ‘हस्तक्षेप’, ‘नृशंस’, ‘हमज़मीन’, ‘कोहरे में कंदील’, ‘चांद के पार एक चाभी’ (कहानी-संग्रह)।

देश की तमाम पत्र-पत्रिकाओं में आपकी कहानियाँ, समीक्षाएँ, लेख आदि प्रकाशित हो चुके हैं। कई कहानियों के अनुवाद उर्दू, अंग्रेज़ी, मराठी और गुजराती में हो चुके हैं।

कुछ कहानियों के मंचन भी हुए हैं जिनमें ‘नृशंस’ (एन.एस.डी., दिल्ली), ‘बाबू जी की छतर’ (एक्ट वन, दिल्ली), ‘ग्रासरूट’ (थिएटर यूनिट, पटना), ‘हमज़मीन’ (अक्षरा, पटना; इंटीमेट थिएटर, इलाहाबाद), ‘तालीम’ (रंगश्री, पटना) और ‘चांद के पार एक चाभी’ (थिएट्रॉन, लखनऊ) उल्लेखनीय हैं। ‘अली मंज़िल’ और ‘अलभ्य’ कहानियों पर दूरदर्शन द्वारा टेलीफ़िल्म का निर्माण व प्रसारण।

आप ‘बनारसी प्रसाद भोजपुरी कथा सम्मान’, ‘सुरेन्द्र चौधरी कथा सम्मान’, ‘विजय वर्मा कथा सम्मान’, ‘फणीश्वरनाथ रेणु कथा सम्मान’ से सम्मानित हैं।

दैनिक हिन्दुस्तान, पटना में वर्षों तक सहायक सम्पादक रहे। सेवानिवृत्ति के बाद फ़िलहाल स्वतंत्र लेखन।

ई-मेल : avadheshpreet950@gmail.com

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