अवधेश प्रीत उन थोड़े से कथाकारों में हैं जो यथार्थ की भीतरी तह तक पहुँचकर उसकी आन्तरिक गतिशीलता को उजागर करते हैं। उनकी कहानियों में जीवन के गहरे अनुभव के साथ-साथ समाज में होनेवाले परिवर्तनों के संकेत भी मिलते हैं। विसंगतियों और विडम्बनाओं का चित्र उकेरते वक़्त उनकी नज़र हमेशा उन वंचितजनों पर टिकी होती है, जो अपनी स्थिति से उबरने तथा समाज के बदलने के लिए संघर्ष कर रहे होते हैं। सपाटबयानी से बचते हुए अवधेश अपने एक-एक अनुभव को पहले वैचारिक धरातल पर सूत्रबद्ध करते हैं, फिर उनके कलात्मक संग्रन्थन से ऐसी फंतासी रचते हैं जिसमें किरदारों के आत्मसंघर्ष तथा सामाजिक संघर्ष के बीच की विभाजक रेखा मिट जाती है। उनका यह शिल्प ही उन्हें अपने समकालीनों से अलग करता है।
‘हमज़मीन’ संग्रह की कहानियों में अवधेश प्रीत ने साम्प्रदायिक और सामंती क्रूरताओं के शिकार वंचितों तथा स्त्रियों की पीड़ाओं के चित्रण के साथ-साथ उनके संघर्ष और जिजीविषा को रेखांकित करने का जो सार्थक प्रयास किया है वह उल्लेखनीय है।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2006 |
Edition Year | 2006, Ed. 1st |
Pages | 135p |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 22 X 14.5 X 1.5 |