प्रस्तुत कहानी-संग्रह 'आकाश-दीप' में कहानी की संरचना केन्द्रीभूत नहीं है, बल्कि बुनावट की दृष्टि से भावकेन्द्रित है और वह भाव है चम्पा की 'मानसिक स्थिति' का संकेत जो सारे कथ्य को लोककथा की तरह संकेन्द्रित करती है, परन्तु, लोककथाओं की तरह मुक्त नहीं करती है, बल्कि चिन्तित और व्याकुल करती है। यही वह अन्तर है जो प्रसाद के योगदान को महत्त्वपूर्ण बना देता है।

‘आकाश-दीप' संग्रह 'प्रतिध्वनि' की तुलना में न केवल मानव-मन की पर्तों के उद्घाटन और अँधेरों की पहचान में सफल है बल्कि सामाजिक सच्चाई को अधिक सटीक ढंग से संकेतित करने में भी सफल है। इस संग्रह में संकलित ‘आकाश-दीप’, ‘पुरस्कार’, ‘ममता’, ‘अपराधी’, ‘स्वर्ग के खँडहर’, ‘बनजारा' कहानियाँ अपने में निष्कर्षात्मक नहीं है, परन्तु जिस प्रकार की विकल्पहीनता और भावसंघर्ष को व्यक्त करती हैं, वह उस युग के भारतीय मध्यवर्ग की सृजनात्मक अभिव्यक्ति है।

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2020
Edition Year 2020, Ed 1st
Pages 104p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
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Jaishankar Prasad

Author: Jaishankar Prasad

जयशंकर प्रसाद

जन्म : 30 जनवरी, 1890; वाराणसी (उ.प्र.)।

स्कूली शिक्षा मात्र आठवीं कक्षा तक। तत्पश्चात् घर पर ही संस्कृत, अंग्रेज़ी, पालि और प्राकृत भाषाओं का अध्ययन। इसके बाद भारतीय इतिहास, संस्कृति, दर्शन, साहित्य और पुराण-कथाओं का एकनिष्ठ स्वाध्याय। पिता देवीप्रसाद तम्बाकू और सुँघनी का व्यवसाय करते थे और वाराणसी में इनका परिवार 'सुँघनी साहू’ के नाम से प्रसिद्ध था। पिता के साथ बचपन में ही अनेक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों की यात्राएँ कीं।

छायावादी कविता के चार प्रमुख उन्नायकों में से एक। एक महान लेखक के रूप में प्रख्यात। विविध रचनाओं के माध्यम से मानवीय करुणा और भारतीय मनीषा के अनेकानेक गौरवपूर्ण पक्षों का उद्घाटन। 48 वर्षों के छोटे-से जीवन में कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास और आलोचनात्मक निबन्ध आदि विभिन्न विधाओं में रचनाएँ।

प्रमुख कृतियाँ : ‘झरना’, ‘आँसू’, ‘लहर’, ‘कामायनी’ (काव्य); ‘स्कन्दगुप्त’, ‘अजातशत्रु’, ‘चन्द्रगुप्त’, ‘ध्रुवस्वामिनी’, ‘जनमेजय का नागयज्ञ’, ‘राज्यश्री’ (नाटक); ‘छाया’, ‘प्रतिध्वनि’, ‘आकाशदीप’, ‘आँधी’, ‘इन्द्रजाल’ (कहानी-संग्रह); ‘कंकाल’, ‘तितली’, ‘इरावती’ (उपन्यास)।

14 जनवरी, 1937 को वाराणसी में निधन।

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