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Shreyasi

Author: Vinay Kumar
Edition: 2025, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Shreyasi

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विनय कुमार की ‘श्रेयसी’ सरस्वती के अनाविल उज्ज्वल स्वरूप का साक्षात्कार है। इसे पढ़ते हुए ऋग्वेद के वाक्सूक्त के मन्त्र चित्त में विवर्तित होने लगते हैं। ये कविताएँ चेतना के गह्वरों तक उतरती हैं और अतीत और इतिहास ही नहीं, वर्तमान को स्वरित करते हुए भविष्य की आहटों से भी परिचित कराती हैं। विनय कुमार बदलते परिवेश में अपने अक्षुण्ण सांस्कृतिक बोध के साथ कविता को वहाँ ले जाते हैं जहाँ ज्ञान शब्दों में सिमटकर नहीं रह जाता, अनुभव में संवेद्य बन जाता है।

—राधावल्लभ त्रिपाठी

विनय कुमार की ‘यक्षिणी’ को लोगों ने नए ढंग का खंड-काव्य कहा था। सात सर्गों में बँटा इस पुस्तक का कलेवर उससे आगे जाता है। एक लम्बी, गहरी और बहुआयामी  विचार-यात्रा से सम्भव हुई इस कृति में सूखी वैचारिकी नहीं है। गीतात्मक तरलता, आख्यान-कुशलता, नए और अनोखे बिम्बों के साथ-साथ इसमें एक बंकिमता भी है जो कविताओं को मार्मिक और बेधक बनाती है।

‘श्रेयसी’ में परम्परागत अवधारणाओं का स्वीकार भी है और प्रतिरोध भी, विस्तार भी है और तिक्रमण भी। कवि दिव्य से आँखें तो मिलाता है मगर नाहक अभिभूत नहीं होता। वह ज्ञान की परम्परा को समझने का प्रयास करता है और इस क्रम में आवश्यक प्रतिवाद और भविष्यगामी संवाद भी सम्भव करता है जिसे इस यात्रा की उपलब्धि कह सकते हैं। सरस्वती की अवधारणा यूँ तो भारतीय है मगर इसे रचनेवाले तत्त्व कमोबेश हर संस्कृति में हैं। कवि ने भू-राजनीतिक और भाषिक सीमाओं का सहज भाव से अतिक्रमण करते हुए मानव-सभ्यता की सारस्वत-सर्जनात्मक यात्राओं की शक्तियों और चुनौतियों को स्वर दिया है।

यह कृति भारतीय होकर भी वैश्विक है, और धर्मों और संस्कृतियों के विभाजन से परे जाती है। ‘श्रेयसी’ में सरस्वती बड़ी सहजता के साथ गलेटिया, हाइपैटिया, बहादुरशाह ज़फ़र और वाजिद अली शाह से बात करती दिखती है। यह वंदना की किताब नहीं। श्रेयसी कोई देवी नहीं, एक तरलता है जो प्रकृति, कथा और सर्जनात्मक प्रज्ञा तीनों में बहती है। इन तरलताओं के बिना न तो मनुष्य का जीवन सम्भव है और न ही मनुष्यता का।

महाकाव्यात्मक सम्भावनाओं को अपने वितान में समेटती ‘श्रेयसी’ को वर्तमान हिन्दी काव्य-जगत में एक सार्थक हस्तक्षेप की तरह देखा जाएगा।

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Language Hindi
Binding Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2025
Edition Year 2025, Ed. 1st
Pages 288p
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 20 X 13 X 1.5
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Vinay Kumar

Author: Vinay Kumar

विनय कुमार

विनय कुमार का जन्म 9 जून, 1961 को बिहार के जहानाबाद ज़िले के कन्दौल गाँव में हुआ। उन्होंने पटना मेडिकल कॉलेज, पटना से एम.डी. (मनोचिकित्सा) किया।

उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं—‘क़र्ज़े-तहजीब एक दुनिया है’ (ग़ज़ल-संग्रह); ‘आम्रपाली और अन्य कविताएँ’, ‘मॉल में कबूतर’, ‘यक्षिणी’ तथा ‘पानी जैसा देस’ (कविता-संग्रह); ‘आत्मज’ (काव्य-नाटक); ‘एक मनोचिकित्सक के नोट्स’ और ‘मनोचिकित्सा संवाद’ (मनोसामाजिक विमर्श)। उन्होंने इंडियन साइकायट्रिक सोसाइटी के लिए मनोचिकित्सा-शिक्षा विषयक सात किताबों का सम्पादन/सह-सम्पादन और मानसिक स्वास्थ्य की हिन्दी पत्रिका ‘मनोवेद डाइजेस्ट’ का सम्पादन किया है। मनोरोग से सम्बन्धित विषयों पर अख़बारों तथा पत्रिकाओं में उनका विपुल लेखन है।

वे इंडियन साइकाएट्रिक सोसाइटी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष (2023-24), वर्ल्ड साइकाएट्रिक एसोसिएशन में दक्षिण एशिया की ओर से बोर्ड मेम्बर तथा वर्ल्ड एसोसिएशन फॉर सोशल साइकाएट्री के सुइसाइडॉलजी सेक्शन के सेक्रेटरी हैं।

उन्हें मनोचिकित्सा सेवा के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के ‘डॉ. रामचन्द्र एन. मूर्ति सम्मान–2007’, अन्तरराष्ट्रीय योगदान के लिए अमेरिकन साइकाएट्रिक एसोसिएशन के ‘डिस्टिंग्विश्ड फेलो सम्मान’, ‘एक मनोचिकित्सक के नोट्स’ के लिए ‘अयोध्या प्रसाद खत्री स्मृति सम्मान–2015’ तथा कविता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए ‘बनारसी दास भोजपुरी सम्मान–2019’ से सम्मानित किया जा चुका है।

सम्प्रति : मनोवेद माइंड हॉस्पिटल, पटना में मनोचिकित्सक।

ई-मेल : dr.vinaykr@gmail.com

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