Aadhunik Kavya Shastra : Kavi Sena Manifesto

Edition: 2024, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
15% Off
Out of stock
SKU
Aadhunik Kavya Shastra : Kavi Sena Manifesto

भारतीय भाषाओं के संभवतः सर्वाधिक ख्यात और चर्चित कवि तथा विचारक ने यहाँ अपने उस स्वप्न को पूरा किया है जिस में साहित्य-चितन की चार धाराओं का एक साथ विचार होना है, अर्थात् प्राचीन भारतीय काव्यशास्त्र, प्राचीन पाश्चात्त्य काव्यशास्त्र, आधुनिक पाश्चात्त्य काव्यशास्त्र तथा मार्क्सवादी काव्यशास्त्र। यह मैनिफेस्टो, जैसा कि इसे कहा गया है, शेषेन्द्र की शीर्षस्थ उपलब्धियों का द्योतक है। इस के माध्यम से पूर्व, पश्चिम और मार्सीय काव्य-दर्शन का समग्र तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत होता है, जिसने शेषेन्द्र को यशस्वी बनाया है।

मैनिफेस्टो विचक्षण है, साहित्य के विद्यार्थियों के लिए आयामहीन अध्ययन, और काव्यशास्त्र के अध्यापकों के लिए मूल्यवान निर्देशिका, एक अग्रणी विचारक द्वारा काव्यशास्त्रीय विज्ञान का तुलनात्मक मूल्यांकन देनेवाला है।

कवि सेना एक नया बौद्धिक आंदोलन है जिस का उद्देश्य है नयी मनीषा को विकसित करना, युवा विकसनशील पीढ़ियों को सत्य की क्षमता प्रदान करना। मैनिफेस्टो उन्हें सिखाता है कैसे कविता की चुंबकीय शक्ति से सामान्य शब्दों को संपन्न किया जा सकता है, और साहित्य को परिवर्त्तन तथा प्रगति का एक अस्त्र बनाया जा सकता है। यह संभवतः भारत में पहला अवसर है जब एक कवि ने अपने समय का काव्यशास्त्र रचने के लिए लेखनी उठाई है, और अपनी मेधा का उपयोग अपने देश के सामान्य जीवन और समस्याओं के निदान के लिए किया है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 1998
Edition Year 2024, Ed. 2nd
Pages 242p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 2
Write Your Own Review
You're reviewing:Aadhunik Kavya Shastra : Kavi Sena Manifesto
Your Rating

Author: Sheshendra Sharma

शेषेन्द्र शर्मा

जन्म : 20 अक्टूबर, 1927 को आन्ध्र प्रदेश में हुआ। आन्ध्र विश्वविद्यालय से विज्ञान से स्नातक हुए तथा मद्रास विश्वविद्यालय से क़ानून पास किया। 16 जून, 1971 में अंग्रेज़ी की प्रसिद्ध कवयित्री राजकुमारी इन्दिरा देवी धनराजगिरि से प्रेम विवाह हुआ जो अपने राजस-चरित्र के कारण भी चर्चा का विषय बना।

शेषेन्द्र बहुभाषी हैं तथा बहुमुखी प्रतिभा के लेखक भी। साहित्य की सभी विधाओं में प्रणयन। अब तक उनकी कई पुस्तकें प्रकाशित। उन्होंने तेलगू फ़िल्मों के लिए गीत भी लिखे। भारत की अनेक भाषाओं तथा अंग्रेज़ी में भी उनकी रचनाएँ अनूदित हुई हैं। उन्होंने सपत्नीक यूरोप की सांस्कृतिक-यात्राएँ कीं। सन् 1977 में वह श्री व्यंकटेश्वर विश्वविद्यालय में ‘विज़टिंग प्रोफ़ेसर’ रहे। अनेक वर्षों तक हैदराबाद नगर निगम के उप-कमिश्नर के पदोपरान्त 1983 में अवकाश ग्रहण किया। ‘कवि-सेना’ नामक उनका काव्य-आन्दोलन तेलगू भाषा, साहित्य और समाज के लिए विलक्षण सांस्कृतिक प्रयोग है।

वाल्मीकि और कालिदास उनके सर्वाधिक प्रिय कवि हैं। संगीत उनके एकान्त का सखा है। एक कविता में भले ही अपने को मांसाहारी बताया हो परन्तु जीवन में वह शुद्ध निरामिष हैं। भूषा, आदतों और रुचियों से वह तेलगू अवश्य हैं परन्तु व्यक्तित्व से आकंठ भारतीय।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top