किसी ने क्या खूब कहा है, अगर सौ जेल बंद करना हो तो एक विद्यालय खोल दो। एक किताब छपती है तो एक जीवन बदलता है, एक जीवन बदलता है तो एक दुनिया बदलती है। आलोक भाई, आप किताब नहीं लिख रहे, एक जीवन बदल रहे हैं। किताबें आदमी से आदमी को जोड़ती हैं, और आप वह काम कर रहे हैं। आप पाठकों को पुस्तक से जोड़ रहे हैं। दृष्टि को शब्दों से जोड़ रहे हैं। आप विचारों को वर्णमाला से जोड़ रहे हैं।...छपे हुए शब्दों के प्रति आपका अनुराग, आपका स्नेह, आपका समर्पण पराकाष्ठा पर है। आप बिना किसी अपेक्षा के, बिना किसी चाह के लगातार काम करते हैं ताकि लोग जान सकें कि किताब क्या चीज़ होती है, शब्द क्या चीज़ होते हैं। आप बहुत बड़ा काम कर रहे हैं। आप दुनिया में आलोक फैला रहे हैं, आपके पास तो संगम है।
—शैलेश लोढ़ा
Language | Hindi |
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Binding | Paper Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2024 |
Edition Year | 2024, Ed. 1st |
Pages | 124p |
Publisher | Funda (An imprint of Radhakrishna Prakashan) |
Dimensions | 20 X 13 X 1 |