Television Aur Crime Reporting

Author: Vartika Nanda
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Television Aur Crime Reporting
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वर्तिका नन्दा की यह किताब हिन्दी पत्रकारिता के गम्भीर अध्येताओं, विशेषकर टीवी पत्रकारिता के छात्रों के लिए, अपराध पत्रकारिता के अनेक आयाम उजागर करनेवाली पठनीय सामग्री देती है। आज के भाषाई समाचार जगत में अपराध संवाददाता की भूमिका, उसके लिए ख़बरों के सही स्रोत और प्रस्तुति के तरीक़े क्या हों? टीवी के न्यूज़रूम में अपराध विषयक ख़बरें किस तरह अन्तिम आकार पाती हैं? टीवी के लिए अपराध से जुड़े समाचारों को किस तरह से लिखा जाना चाहिए? उसका तकनीकी पक्ष, साक्षात्कार तथा एंकरिंग की दृष्टि से उनका सही नियामन तथा प्रसारण कैसा हो?—इस सब पर अपने लम्बे अनुभवों की मदद से लेखिका ने सिलसिलेवार तरीक़े से प्रकाश डाला है। पुस्तक के अन्त में दिए गए टीवी स्क्रिप्ट के कुछ नमूने तथा उनसे जुड़ी शब्दावली का समावेश पुस्तक की उपादेयता को बढ़ाता है।

—मृणाल पाण्डे

‘भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार’ प्राप्त वर्तिका नन्दा के स्तम्भ पढ़ता रहा हूँ। उनकी पृष्ठभूमि, मीडिया में व्यावहारिक अनुभव और अध्यापन सम्पन्न है। मीडिया के तीनों सशक्त माध्यमों—इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और रेडियो में उन्होंने काम किया है। ख़ासतौर से मीडिया पर उनके स्तम्भ अत्यन्त सूचनाप्रद और विचारपरक होते हैं। आज मीडिया में कैरियर की अनन्त सम्भावनाएँ और अवसर हैं। यह पुस्तक मीडिया जगत की सूक्ष्म और बारीक़ चीज़ों को भी पाठकों तक पहुँचाएगी। उनकी दोनों भूमिकाएँ (पत्रकारिता अध्यापन) इस पुस्तक को विशिष्ट, अलग और महत्त्वपूर्ण बनाती हैं। मीडिया जगत के अध्ययन-अध्यापन से जुड़े लोगों के लिए नहीं, बल्कि पत्रकारिता जगत में रुचि रखनेवाले सामान्य पाठकों के लिए भी।

—हरिवंश।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2010
Edition Year 2019, Ed. 2nd
Pages 184p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 24 X 16 X 1.5
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Author: Vartika Nanda

 

वर्तिका नन्दा

जन्म : 17 अप्रैल, 1977

मीडिया यात्री, चिंतक और मीडिया शिक्षक। अपराध पत्रकारिता में एक स्थापित नाम। दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज के पत्रकारिता विभाग में अध्यापन। इससे पहले 2003 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मास कम्यूनिकेशन, नई दिल्ली में तीन साल तक एसोसिएट प्रोफेसर (टेलीविजन पत्रकारिता)। पी-एच.डी. बलात्कार और प्रिंट मीडिया की रिपोर्टिंग को लेकर किए गए शोध पर।

दस साल की उम्र में जालंधर दूरदर्शन में बतौर एंकर एशिया की सबसे छोटी एंकर बनीं। टेलीविजन के साथ पूर्णकालिक जुड़ाव 1994 में जी टीवी से, फिर करीब 7 साल तक एनडीटीवी में काम, अपराध बीट की प्रमुखता। लोकसभा टीवी में बतौर एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर चैनल के गठन में निर्णायक भूमिका। संसद से सड़क तक जैसे महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों की एंकरिंग।

सहारा इंडिया मीडिया में बतौर प्रोग्रामिंग हेड। भारतीय जनसंचार संस्थान के कम्यूनिटी रेडियो के गठन में महत्त्वपूर्ण भूमिका।

प्रिंट मीडिया के तहत भारत सरकार की पत्रिका समाज कल्याण (हिंदी एवं अंग्रेजी) की संपादकीय सलाहकार। त्रैमासिक मीडिया जरनल कम्यूनिकेशन टुडे की एसोसिएट एडिटर।

प्रशिक्षक के तौर पर लाल बहादुर शास्त्री अकादमी, मसूरी, दिल्ली पुलिस, इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी सहित कई संस्थानों में प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के लिए मीडिया ट्रेनिंग वर्कशॉप्स का आयोजन।

मधुर दस्तक, थी.हूं..रहूंगी..., मरजानी, सं. : तिनका-तिनका तिहाड़ कविता-संग्रह प्रकाशित। इसके अलावा टेलीविजन और क्राइम रिपोर्टिंग, मीडिया और जनसंवाद, टेलीविजन और अपराध पत्रकारिता  जैसी पुस्तकें प्रकाशित व चर्चित।

भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार, स्त्री-शक्ति पुरस्कार, यूथ आइकॉन अवार्ड, ऋतुराज परंपरा सम्मान, डॉ राधाकृष्ण मीडिया अवार्ड, सुधा पत्रकारिता सम्मान आदि से सम्मानित।

नानकपुरा कुछ नहीं भूलता—महिला अपराध पर एक लघु फिल्म का निर्माण। विश्व हिंदी सम्मेलन, जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में रिलीज। बतौर मीडिया यात्री जर्मनी और बेल्जियम की यात्रा।

संपर्क : www.vartikananda.blogspot.com, nandavartika@gmail.com

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