Thee.Hoon..Rahoongi...

Author: Vartika Nanda
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Thee Hoon Rahoongi
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यह पहला मौक़ा है जब एक अपराध पत्रकार ने अपराध पर ही कविताएँ लिखी हैं। एनडीटीवी में बरसों अपराध बीट की प्रमुखता और बाद में ‘बलात्कार’ पर पीएच.डी. ने देश की इस विख्यात पत्रकार को महिला अपराध को एक अलहदा संवेदनशीलता से देखने की ताक़त दी। इसलिए इन कविताओं को संवेदना के अलावा यथार्थ के चश्मे से भी देखना होगा।

वर्तिका के लिए औरत टीले पर तिनके जोड़ती और मार्मिक संगीत रचती एक गुलाबी सृष्टि है और सबसे बड़ी त्रासदी भी। वह चूल्हे पर चाँद-सी रोटी सेंके या घुमावदार सत्ता सँभाले—सबकी आन्तरिक यात्राएँ एक–सी हैं। इस ग्रह के हर हिस्से में औरत किसी–न–किसी अपराध की शिकार होती ही है। ज़्यादा बड़ा अपराध घर के भीतर का, जो अमूमन ख़बर की आँख से अछूता रहता है। ये कविताएँ उसी देहरी के अन्दर की कहानी सुनाती हैं। यहाँ मीडिया, पुलिस, क़ानून और समाज मूक है। वो उसके मारे जाने का इन्तज़ार करता है और उसके बाद भी कभी–कभार ही क्रियाशील होता है।

वर्तिका की कविता की औरत थक चुकी है पर विश्वास का एक दीया अब भी टिमटिमा रहा है। दु:ख के विराट मरुस्थल बनाकर देते पुरुष को स्त्री का इससे बड़ा जवाब क्या होगा कि मारे जाने की तमाम कोशिशों के बावजूद वह मुस्कुराकर कह दे—‘थी.हूँ..रहूँगी...’।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2012
Edition Year 2012, Ed. 1st
Pages 144p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14 X 1.5
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Author: Vartika Nanda

 

वर्तिका नन्दा

जन्म : 17 अप्रैल, 1977

मीडिया यात्री, चिंतक और मीडिया शिक्षक। अपराध पत्रकारिता में एक स्थापित नाम। दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज के पत्रकारिता विभाग में अध्यापन। इससे पहले 2003 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मास कम्यूनिकेशन, नई दिल्ली में तीन साल तक एसोसिएट प्रोफेसर (टेलीविजन पत्रकारिता)। पी-एच.डी. बलात्कार और प्रिंट मीडिया की रिपोर्टिंग को लेकर किए गए शोध पर।

दस साल की उम्र में जालंधर दूरदर्शन में बतौर एंकर एशिया की सबसे छोटी एंकर बनीं। टेलीविजन के साथ पूर्णकालिक जुड़ाव 1994 में जी टीवी से, फिर करीब 7 साल तक एनडीटीवी में काम, अपराध बीट की प्रमुखता। लोकसभा टीवी में बतौर एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर चैनल के गठन में निर्णायक भूमिका। संसद से सड़क तक जैसे महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों की एंकरिंग।

सहारा इंडिया मीडिया में बतौर प्रोग्रामिंग हेड। भारतीय जनसंचार संस्थान के कम्यूनिटी रेडियो के गठन में महत्त्वपूर्ण भूमिका।

प्रिंट मीडिया के तहत भारत सरकार की पत्रिका समाज कल्याण (हिंदी एवं अंग्रेजी) की संपादकीय सलाहकार। त्रैमासिक मीडिया जरनल कम्यूनिकेशन टुडे की एसोसिएट एडिटर।

प्रशिक्षक के तौर पर लाल बहादुर शास्त्री अकादमी, मसूरी, दिल्ली पुलिस, इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी सहित कई संस्थानों में प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के लिए मीडिया ट्रेनिंग वर्कशॉप्स का आयोजन।

मधुर दस्तक, थी.हूं..रहूंगी..., मरजानी, सं. : तिनका-तिनका तिहाड़ कविता-संग्रह प्रकाशित। इसके अलावा टेलीविजन और क्राइम रिपोर्टिंग, मीडिया और जनसंवाद, टेलीविजन और अपराध पत्रकारिता  जैसी पुस्तकें प्रकाशित व चर्चित।

भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार, स्त्री-शक्ति पुरस्कार, यूथ आइकॉन अवार्ड, ऋतुराज परंपरा सम्मान, डॉ राधाकृष्ण मीडिया अवार्ड, सुधा पत्रकारिता सम्मान आदि से सम्मानित।

नानकपुरा कुछ नहीं भूलता—महिला अपराध पर एक लघु फिल्म का निर्माण। विश्व हिंदी सम्मेलन, जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में रिलीज। बतौर मीडिया यात्री जर्मनी और बेल्जियम की यात्रा।

संपर्क : www.vartikananda.blogspot.com, nandavartika@gmail.com

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