Suhag Ke Nupur

Author: Amritlal Nagar
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Suhag Ke Nupur
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ईसा की प्रथम शताब्दी में महाकवि इलंगोवन रचित तमिल महाकाव्य ‘शिलप्पदिकारम्’ भारतीय साहित्य की एक अनमोल रचना है। प्रस्तुत उपन्यास उक्त महाकाव्य की कथावस्तु पर आधारित पहली हिन्दी कृति है, जिसमें दक्षिण भारत के ऐतिहासिक जीवन का विस्तृत और विश्वसनीय चित्रण हुआ है।

तत्कालीन पृष्ठभूमि को सँजोने में लेखक ने इतिहास-ग्रन्‍थों का अवगाहन करके अपने चित्रणों को यथासम्भव प्रामाणिक बनाने की चेष्टा की है और इस प्रकार उक्त महाकाव्य पर आधारित होते हुए भी यह प्रायः एक स्वतंत्र रचना बन गई है। स्वयं लेखक के शब्दों में : ‘‘घिसी-पिटी थीम होने पर भी पापुलर उपन्यास के लिए मुझे वह अच्छी लगी; मैं अपने दृष्टिकोण से उसमें नवीनता देख रहा था।’’

मिली-जुली सरल भाषा में लिखे गए इस उपन्यास का यह छठा संस्करण पाठकों के सामने है, जो इसकी लोकप्रियता का अकाट्य प्रमाण है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 1960
Edition Year 2023, Ed. 22nd
Pages 192p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Amritlal Nagar

Author: Amritlal Nagar

अमृतलाल नागर

नागर जी का जन्म 17 अगस्त, 1916 को आगरा में हुआ। लखनऊ में शिक्षा प्राप्त की और फिर वहीं बस गए। तस्लीम लखनवी, मेघराज, इन्‍द्र आदि उपनामों से भी लेखन किया है। बांग्‍ला, तमिल, गुजराती और मराठी भाषाओं के ज्ञाता। उनकी रचनाओं में ‘वाटिका’, ‘अवशेष’, ‘नवाबी मसनद’, ‘तुलाराम शास्त्री’, ‘एटम बम’, ‘एक दिल हजार दास्ताँ’, ‘पीपल की परी’, नामक कहानी-संग्रह; ‘महाकाल’, ‘सेठ बाँकेमल’, ‘बूँद और समुद्र’, ‘शतरंज के मोहरे’, ‘अमृत और विष’ आदि उपन्यास; ‘गदर के फूल’, ‘ये कोठेवालियाँ’ आदि शोध-कृतियाँ तथा बाल-साहित्य की ‘नटखट चाची’, ‘निंदिया आजा’ आदि उल्लेखनीय हैं। अन्य महत्त्वपूर्ण कृतियों में तुलसी के जीवन पर आधारित महाकाव्यात्मक उपन्यास ‘मानस का हंस’; हास्य-व्यंग्य-संग्रह ‘कृपया दाएँ चलिए’, ‘भरत पुत्र नौरंगीलाल’ तथा संस्मरण-संग्रह ‘जिनके साथ जिया’ प्रमुख हैं।

नागर जी साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत हुए और उनकी अनेक कृतियाँ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भी पुरस्कृत हुई हैं।

निधन : 23 फरवरी, 1990

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