Panchvan Dasta Aur Saat Kahaniyan

Author: Amritlal Nagar
Edition: 2011, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Panchvan Dasta Aur Saat Kahaniyan
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‘पाँचवाँ दस्ता और सात कहानियाँ’ में बीसवीं सदी के बहुत बड़े गद्यशिल्पी के रूप में जाने-माने रचनाकार अमृतलाल नागर की 1945 से 1970 के कालखंड की कुछ चुनी हुई कहानियों संकलित हैं।

 नागर जी की कहानियों में किस्सागोई का तत्त्व प्रबल रूप से मौजूद है। उनका कहना था ‘मेरा मालिक आम पाठक है जिसमें अमीर भी है और गरीब भी।’ इसलिए किस्सागोई की रुचि को मैंने जनरुचि और जनरुचि को किस्सा बनाकर ही पेश करने की कोशिश की।

 रामविलास शर्मा के अनुसार ‘देश के एकीकरण में नागर जी का योगदान यह है कि अपने कथा-साहित्य में ढेर-सारे मुसलमान पात्रों को जगह देकर, उन्हें हिन्दी जातीयता में भागीदार दिखाकर, उन्होंने साम्प्रदायिक अलगाववाद पर जबर्दस्त प्रहार किया है और राजनीतिज्ञों का मार्गदर्शन किया है।’

 इस संग्रह की रचनाएँ नागर जी के विस्तृत कथा-संसार की बहुरंगी झाँकियाँ प्रस्तुत करने के साथ ही उनके सामाजिक सरोकारों तथा उनकी संवेदनाओं से साक्षात्कार कराती हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 1970
Edition Year 2011, Ed. 2nd
Pages 152p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21.5 X 14.5 X 1
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Amritlal Nagar

Author: Amritlal Nagar

अमृतलाल नागर

नागर जी का जन्म 17 अगस्त, 1916 को आगरा में हुआ। लखनऊ में शिक्षा प्राप्त की और फिर वहीं बस गए। तस्लीम लखनवी, मेघराज, इन्‍द्र आदि उपनामों से भी लेखन किया है। बांग्‍ला, तमिल, गुजराती और मराठी भाषाओं के ज्ञाता। उनकी रचनाओं में ‘वाटिका’, ‘अवशेष’, ‘नवाबी मसनद’, ‘तुलाराम शास्त्री’, ‘एटम बम’, ‘एक दिल हजार दास्ताँ’, ‘पीपल की परी’, नामक कहानी-संग्रह; ‘महाकाल’, ‘सेठ बाँकेमल’, ‘बूँद और समुद्र’, ‘शतरंज के मोहरे’, ‘अमृत और विष’ आदि उपन्यास; ‘गदर के फूल’, ‘ये कोठेवालियाँ’ आदि शोध-कृतियाँ तथा बाल-साहित्य की ‘नटखट चाची’, ‘निंदिया आजा’ आदि उल्लेखनीय हैं। अन्य महत्त्वपूर्ण कृतियों में तुलसी के जीवन पर आधारित महाकाव्यात्मक उपन्यास ‘मानस का हंस’; हास्य-व्यंग्य-संग्रह ‘कृपया दाएँ चलिए’, ‘भरत पुत्र नौरंगीलाल’ तथा संस्मरण-संग्रह ‘जिनके साथ जिया’ प्रमुख हैं।

नागर जी साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत हुए और उनकी अनेक कृतियाँ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भी पुरस्कृत हुई हैं।

निधन : 23 फरवरी, 1990

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