Shriramcharitmanas

Author: Tulsidass
Translator: Ramsingh Thakur
Edition: 2014
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Shriramcharitmanas
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‘श्रीरामचरितमानस’ भारतीय संस्कारों का श्रेष्ठतम महाकाव्य है। भारतीय संस्कार का अर्थ है—समग्र मानव जाति के निखिल मंगल, कल्याण एवं हितैषिता के प्रति समर्पित होकर प्रेम, स्नेह, उदारता, ममता, सहिष्णुता, दया, अस्तित्व, अहिंसा, सत्य, परोपकार आदि मूल्यों की प्रतिष्ठा करना। इस प्रकार, ‘मानस’ मानव अस्तित्व को सर्वोपरि मानकर उसके लिए सबसे सुलभ, सर्वाधिक सुगम तथा श्रेयस्कर मार्ग की तलाश की छटपटाहट से संयुक्त है। समाज के सर्वोच्च शुभ की प्रतिष्ठा ही मानसकार तुलसी का महत्तम शुभ है।

गोस्वामी तुलसीदास ने मानवीय अस्तित्व की सार्थकता के लिए जिस भव्यतम शुभ का दर्शन किया है, ‘मानस’ की कविता के विविध पात्रों द्वारा उसे जिस प्रकार व्यंजित किया है तथा नैतिक मंगल के सर्वोच्च मूल्य श्रीराम और उनके ठीक विपरीत गर्हित अशुभ एवं अधर्म के प्रतीक रावण को आमने-सामने रखकर जिस मानवीय शुभ की स्थापना की है—उसकी चरम परिणति असत्य पर सत्य की विजय, अशुभ पर शुभ की स्थापना, क्रूरता पर प्रेम तथा दया का प्रसार, प्रपंच तथा छल पर मानवीय सहजता की छाया की स्थापना में होती है। इस सृष्टि पर जब तक मानव जाति रहेगी, अपनी सांस्कृतिक धरोहर सत्य, प्रेम, दया, उदारता आदि श्रेष्ठ मानवीय मूल्यों से संपृक्त ‘श्रीरामचरितमानस’ जैसे काव्य की रक्षा करती
रहेगी।

इस प्रकार ‘श्रीरामचरितमानस’ निखिल मानव जाति की सनातन धरोहर है और इस टीका का मन्तव्य है—उसकी इस अमूल्य तथा परम शुभमयी धरोहर से उसे बराबर परिचित कराते रहना।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Edition Year 2014
Pages 1042p
Translator Ramsingh Thakur
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 4
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Author: Tulsidass

तुलसीदास

परिचय

मूल नाम : गोस्वामी तुलसीदास

जन्म : 1532 ई., राजापुर, बाँदा, उत्तर प्रदेश ( कुछ विद्वानों के अनुसार इनका जन्म 1497 ई. में हुआ था। इसी तरह इनके जन्म स्थान के बारे में भी कई भिन्न मत मिलते हैं )

भाषा : अवधी, ब्रज, संस्कृत

 

मुख्य कृतियाँ

कृतियाँ : रामचरितमानस, विनय-पत्रिका, कवितावली, दोहावली, रामललानहछू, बरवैरामायण, गीतावली, हनुमानबाहुक, वैराग्यसंदीपनी, रामाज्ञा प्रश्न, पार्वती-मंगल, जानकी-मंगल, श्रीकृष्ण गीतावली  

 

निधन

1623 ई० (संवत 1680 वि०) वाराणसी

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