Geetavali (Tulsidas Krit)

Author: Tulsidass
Editor: Sudhakar Pandey
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Geetavali (Tulsidas Krit)

‘गीतावली’ को ध्यान से पढ़ने पर 'रामचरितमानस’ और ‘विनयपत्रिका’ की अनेक पंक्तियों की अनुगूँज सुनाई पड़ती है। ‘रामचरितमानस’ के मार्मिक स्थल ‘गीतावली’ में भी कथा-विधान के तर्क से हैं और वर्णन की दृष्टि से भी उतने ही मार्मिक बन पड़े हैं। लक्ष्मण की शक्ति का प्रसंग भ्रातृभक्ति का उदाहरण ही नहीं है किसी को भी विचलित करने के लिए काफ़ी है। भाव संचरण और संक्रमण की यह क्षमता काव्य विशेषकर महाकाव्य का गुण माना जाता है।

‘गीतावली’ में भी कथा का क्रम मुक्तक के साथ मिलकर भाव संक्रमण का कारण बनता है। कथा का विधान लोक सामान्य चित्त को संस्कारवशीभूतता और मानव सम्बन्धमूलकता के तर्क से द्रवित करने की क्षमता रखता है। ‘मो पै तो कछू न ह्वै आई’ और ‘मरो सब पुरुषारथ थाको’ जैसे राम के कथन सबको द्रवित करते हैं। यह प्रकरण वक्रता मात्र नहीं है, बल्कि प्रबन्धवक्रता के तर्क से ही प्रकरण में वक्रता उत्पन्न होती है। असंलक्ष्यक्रमव्‍यंगध्वनि के द्वारा ही यहाँ रस की प्रतीति होती है। राग-द्वेष, भाव-अभाव मूलक पाठक या श्रोता जब निबद्धभाव के वशीभूत होकर भावमय हो जाते हैं तो वे नितान्त मनुष्य होते हैं और काव्य की यही शक्ति ‘गीतावली’ को भी महत्त्वपूर्ण साहित्यिक कृति बना देती है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2005
Edition Year 2005, Ed 1st
Pages 282p
Translator Not Selected
Editor Sudhakar Pandey
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Author: Tulsidass

तुलसीदास

परिचय

मूल नाम : गोस्वामी तुलसीदास

जन्म : 1532 ई., राजापुर, बाँदा, उत्तर प्रदेश ( कुछ विद्वानों के अनुसार इनका जन्म 1497 ई. में हुआ था। इसी तरह इनके जन्म स्थान के बारे में भी कई भिन्न मत मिलते हैं )

भाषा : अवधी, ब्रज, संस्कृत

 

मुख्य कृतियाँ

कृतियाँ : रामचरितमानस, विनय-पत्रिका, कवितावली, दोहावली, रामललानहछू, बरवैरामायण, गीतावली, हनुमानबाहुक, वैराग्यसंदीपनी, रामाज्ञा प्रश्न, पार्वती-मंगल, जानकी-मंगल, श्रीकृष्ण गीतावली  

 

निधन

1623 ई० (संवत 1680 वि०) वाराणसी

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