‘चरित’ की दृष्टि से यह रचना पर्याप्त सफल हुई है। इसमें राम के जीवन की समस्त घटनाएँ आवश्यक विस्तार के साथ एक सुसम्बद्ध रूप में कही गई हैं। रावण के पूर्वभव तथा राम के पूर्वाकार की कथाओं से लेकर राम के राज्य-वर्णन तक कवि ने कोई भी प्रासंगिक कथा रचना में नहीं आने दी है। इस सम्बन्ध में यदि वाल्मीकीय तथा अन्य अधिकतर राम कथा ग्रन्थों से 'रामचरितमानस' की तुलना की जाए तो तुलसीदास की विशेषता प्रमाणित होगी।
'काव्य' की दृष्टि से 'रामचरितमानस' एक अति उत्कृष्ट महाकाव्य है। भारतीय साहित्य-शास्त्र में ‘महाकाव्य’ के जितने लक्षण दिए गए हैं, वे इसमें पूर्ण रूप से पाए जाते हैं।
तुलसीदास की ‘भक्ति’ की अभिव्यक्ति भी इसमें अत्यन्त विशद रूप में हुई है। अपने आराध्य के सम्बन्ध में उन्होंने 'रामचरितमानस' और 'विनय-पत्रिका' में अनेक बार कहा है कि उनके राम का चरित्र ही ऐसा है कि जो एक बार उसे सुन लेता है, वह अनायास उनका भक्त हो जाता है। वास्तव में तुलसीदास ने अपने आराध्य के चरित्र की ऐसी ही कल्पना की है।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Pt. Ram Naresh Tripathi |
Publication Year | 2017 |
Edition Year | 2017, Ed. 1st |
Pages | 743p |
Publisher | Lokbharti Prakashan |
Dimensions | 22.3 X 14.5 X 2.5 |