Shalbhanjika

Edition: 2012, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Shalbhanjika

‘शालभञ्जिका’ शब्द प्राचीन भारतीय कला की एक विशेष लोकप्रिय ललित मुद्रा का वाचक था। इसके ज्वलन्त उदाहरण भारत के विविध ऐतिहासिक केन्द्रों से प्राप्य हैं, जिसमें उच्चित्रित सुन्दरी अपने एक हाथ से वृक्ष-शाखा को नमित एवं दूसरा कटि-प्रदेश पर अलम्बित करती त्रिभङ्ग मुद्रा में विलसित है। कला के अतिरिक्त संस्कृत, पालि एवं प्राकृत साहित्य में भी इस ललित कला-मुद्रा का प्रचुर निरूपण प्राप्य है। इससे विशेष रूप से प्रभावित होनेवाले कवियों, लेखकों एवं समीक्षकों में अश्वघोष, कालिदास, श्रीहर्ष, बाणभट्ट, राजशेखर एवं गोवर्द्धनाचार्य उल्लेखनीय हैं। इनके ग्रन्थों में प्राप्य तत्सम्बन्धी विवरण कला, इतिहास एवं दर्शन की दृष्टि से रोचक, सारगर्भित एवं ज्ञानवर्द्धक हैं।

भारतीय कला के मर्मज्ञ डॉ. उदय नारायण राय ने प्राचीन ग्रन्थों का मन्थन कर साहित्यिक एवं पुरातत्त्वीय साक्ष्यों में सुन्दर सामंजस्य स्थापित करते हुए प्रस्तुत ग्रन्थ में इस ललित कला-मुद्रा का विस्तृत ऐतिहासिक परिचय एकत्र उपलब्ध कराने का अभिमत प्रयास किया है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 1993
Edition Year 2012, Ed. 2nd
Pages 74p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 24.5 X 18.5 X 1.5
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Uday Narayan Rai

Author: Uday Narayan Rai

उदयनारायण राय

जन्म : 1928; ग्राम—बनकटा, जनपद—गोरखपुर (उ.प्र.।

शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा गोरखपुर से। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से सन् 1951 में एम.ए. एवं डॉक्टर ऑफ़ फ़िलासफ़ी की उपाधि 1957 में। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के ही इतिहास विभाग तथा तदुपरान्त प्राचीन इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग में क्रमानुसार लेक्चरर, रीडर, प्रोफ़ेसर एवं विभागाध्यक्ष। सन् 1989 ई. में अवकाश ग्रहण। 

विशेष : भारतीय इतिहास अनुसन्धान परिषद् के सीनियर रिसर्च फ़ेलो, अगस्त सन् 1989 से। प्राचीन इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर इमेरिटस दिसम्बर 1991 से जून 1993 तक।

प्रकाशन : ‘प्राचीन भारत में नगर तथा नगर-जीवन’, ‘शालभञ्जिका’, ‘भारतीय कला’, ‘भारतीय लोक परम्परा में दोहद’, ‘गुप्त-राजवंश तथा उसका युग’, ‘विश्व सभ्यता का इतिहास’, ‘हमारे पुराने नगर’, आदि प्रमुख कृतियाँ हैं। अनेक शोध-पत्र राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित।

पुरस्कार एवं सम्मानोपाधियाँ : ‘मंगलाप्रसाद पारितोषिक’, ‘आचार्य नरेन्द्रदेव पुरस्कार’, ‘इमेरिटस फ़ेलोशिप’, ‘विद्याभूषण सम्मान’ (उत्तर प्रदेश, हिन्दी संस्थान लखनऊ), ‘साहित्य वाचस्पति’ (मानद डी.लिट्.), इलाहाबाद विश्वविद्यालय में लगभग 40 वर्षों तक अनुसन्धान-कार्य का पर्यवेक्षण, अनेक अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में भाग एवं अध्यक्षता, शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक प्रसंगों में विदेशी राज्यों का पर्यटन—सोवियत भूमि (रूस), तुर्कमेनिस्तान (अश्काबाद), उज्बेकिस्तान (ताशकन्द), संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, वेल्स, फ़्रांस।

निधन : 16 नवम्बर, 2007

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