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Shakuntika : Srijan Aur Drishti-E-Book

Author: Anil singh
Edition: 2021, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
Special Price ₹521.25 Regular Price ₹695.00
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9788194833574-ebook

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ख्यात उपन्यासकार भगवानदास मोरवाल के उपन्यास ‘शकुंतिका’ पर केन्द्रित आलोचना-पुस्तक उनकी रचनाधर्मिता की सार्थकता को रेखांकित करने का गम्भीर प्रयास है। इसके साथ ही यह इस उपन्यास के बहाने भारतीय समाज में मौजूद पितृसत्तात्मक मानसिकता और पुरुषवादी वर्चस्व के दुष्परिणामों तथा स्‍त्री-पुरुष समानता की महत्ता को समझने-समझाने का उपक्रम भी है।

‘शकुंतिका’ में उपन्यासकार ने न केवल बेटियों के प्रति हमारे समाज में मौजूद रूढ़िवादी धारणाओं को दिखलाया है, बल्कि समय के साथ उन धारणाओं में आ रहे सकारात्मक बदलाव को भी रेखांकित किया है। उनकी इस रचना-दृष्टि को यह पुस्तक रूढ़िवादी मान्यताओं के बरअक्स विश्वास की परम्परा के निर्माण के रूप में परिभाषित करती है। यह दिखलाती है कि किसी भी समाज के लिए केवल आदर्श विचारों का होना पर्याप्त नहीं है। उन्हें व्यावहा‌रिक रूप में लागू किए बग़ैर वास्तविक प्रगति नहीं हो सकती। ‘यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते, रमन्ते तत्र देवता’ की सूक्ति सँजोने के बावजूद हमारे समाज में स्त्रियों के प्रति सामाजिक भेदभाव और लैंगिक असमानता के बने रहने का यही कारण है। इस सन्दर्भ में यह पुस्तक सामाजिक-सांस्कृतिक उत्‍थान के लिए आवश्यक जीवन-मूल्यों के प्रति रचनात्मक आग्रह को भी सप्रमाण रेखांकित करती है।

निस्सन्देह, यह पुस्तक हिन्दी साहित्य के अध्येताओं के साथ-साथ सुधी पाठकों के लिए भी एक संग्रहणीय है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2021
Edition Year 2021, Ed. 1st
Pages 248p
Price ₹695.00
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Author: Anil singh

डॉ. अनिलकुमार शिवनारायण सिंह

शिक्षा :  एम.ए ., पीएच.डी. ( हिन्दी )।

मुम्बई विश्वविद्यालय, मुम्बई में शोध-निर्देशक।

पूर्व उप-प्राचार्य (यू.जी. स्तर पर 30 वर्ष, पी.जी. स्तर पर 24 वर्ष)।

प्रकाशन : 4 पुस्तकें प्रकाशित और 12 पुस्तकें सम्पादित। 50 से अधिक शोध-लेख व समीक्षाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, कई पुस्तकों में शामिल।

प्रसारण : आकाशवाणी, मुम्बई से रेडियो वार्ताएँ प्रसारित।

सम्मान/पुरस्कार : ‘जे.आर. साहित्य भूषणश्री सम्मान—2013’ (जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल के हाथों) सहित कई राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित।

विशेष :  मारीशस, श्रीलंका, रूस, जर्मनी, इंडोनेशिया आदि देशों में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन में भागीदारी।

सम्प्रति : हिन्दी विभागाध्यक्ष; संयोजक : पी.जी. संकाय; संयोजक : हिन्दी अनुसन्धान केन्द्र।

ई-मेल : dranilsingh129@gmail.com

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