डॉ. राममनोहर लोहिया जितने बड़े विचार- पुरुष थे, उतने ही बड़े आचारण-पुरुष; जितने बड़े संस्कृति-पुरुष थे, उतने ही बड़े विधि पुरुष थे; उतने ही बड़े सत्याग्रह-पुरुष। डा. लोहिया के लिए धर्म दीर्घकालिक राजनीति था, और राजनीति अल्पकालिक धर्म। लोहिया सिद्धान्त को साधारणीकृत कार्यक्रम मानते थे और कार्यक्रम को ठोस व्यवहार-गत सिद्धान्त। वे कथनी और करनी के बीच किसी भेद को स्वीकार नहीं करते थे। लोहिया विश्व बन्धुत्व में विश्वास करते थे और विश्वयारी को गर्हित समझते थे। आचरण उनके लिए विचार की कसौटी था । लोहिया वैचारिकता के धरातल पर बहुत परिपक्व और स्पष्ट दृष्टि वाले नेता थे। उन्होंने समाजवाद के अपने चिन्तन को भारतीय परिस्थितियों और भारतीय संस्कृति-चेतना से जोड़कर महात्मा गाँधी के विचारों और आचरण से सम्बद्ध करके विकसित किया था। आचरण और विचार की एकता की परम्परा भारतीय समाज में अधिक से अधिक जगह बना सके, यही इस पुस्तक का उद्देश्य है।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Publication Year | 2008 |
Edition Year | 2008, Ed. 1st |
Pages | 133p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Lokbharti Prakashan |
Dimensions | 22 X 14 X 1 |