Rachna Ka Antrang

Memoirs
Author: Devendra
As low as ₹280.00 Regular Price ₹400.00
You Save 30%
In stock
Only %1 left
SKU
Rachna Ka Antrang
- +
अर्थशास्त्र जाननेवाले कहते हैं कि गाँव की तरक्‍़क़ी हो गई है। समाजशास्त्र के विद्वान कहते हैं कि रिश्तों में दरार आ गई है। गाँव के लोग कहते हैं कि अब वह बात नहीं रहीं। बहुत उदास-उदास लगता है। यहाँ रहने का मन नहीं होता। लब्बोलुबाब यह कि इतनी उदास, मनहूस और क़र्ज़ में डूबी तरक्‍़क़ी। बैंकों की मदद से हमारे गाँव में तीन लोगों ने ट्रैक्टर ख़रीदे और तीनों के आधे खेत बिक गए। ट्रैक्टर औने-पौने दाम में बेचने पड़े। पता नहीं क़र्ज़ चुकता हुआ कि नहीं? पंचायती राज में लोकतंत्र को गाँवों तक ले जाने का कार्यक्रम बना। फिर तो, अपहरण, हत्याएँ और मुकदमेबाज़ी। सारे के सारे गाँव थानों और कचहरियों में जाकर क़ानून की धाराएँ रटने लगे।... —'अस्सी की एक शाम' से
More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2020
Edition Year 2020, 1st Ed.
Pages 167p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Rachna Ka Antrang
Your Rating

Editorial Review

It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here

Devendra

Author: Devendra

देवेन्द्र

जन्म : 1 जनवरी 1958; गाजीपुर जनपद के पिपनार गाँव में।

ढेर सारा समय लखीमपुर में अध्यापन और अब लखनऊ में।

प्रकाशन : ‘शहर कोतवाल की कविता’, ‘समय बे-समय’, ‘नालन्‍दा पर गिद्ध’। इसी बीच समकालीन हिन्दी कविता पर आलोचना की एक पुस्तक भी प्रकाशित हुई।

सम्मान : 1996 में प्रकाशित पहले कहानी-संग्रह ‘शहर कोतवाल की कविता’ पर ‘इंदु शर्मा कथा सम्मान’, ‘यशपाल कथा सम्मान’ और सावित्री देवी फाउंडेशन का ‘हिन्दी कथा सम्मान’।

सम्प्रति : गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ में हिन्दी के प्रोफ़ेसर।

सम्पर्क : 569 च/498, प्रेम नगर, आलमबाग़, लखनऊ।

Read More
Books by this Author

Back to Top