Nalanda Par Giddh

Author: Devendra
Edition: 2019, 1st Ed.
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Nalanda Par Giddh

क्षमा करो हे वत्स! तुम उस कहानी को देखो कि उसमें विधाओं की कितनी ख़ूबसूरत मिक्सिंग है। उसमें व्यक्ति चरित्र भी है, संस्मरण भी है, कहानी भी है, बहुत कुछ क्रूर धटनाएँ भी हैं, अपनी क्रूरताओं का वर्णन भी है—पत्नी के प्रति और अन्य चीज़ों के प्रति, बच्चे के प्रति बहुत ही ज़बरदस्त वात्सल्य भी है। जैसा उस कहानी में हुआ है, वैसे वात्सल्य का चित्रण तो बहुत कम देखने को मिलता है। इस तरह बहुत सारी गद्य विधाओं को मिलाकर उसने सचमुच कहानी का एक नया रसायन इस शताब्दी के अन्त में ‘क्षमा करो हे वत्स!’ में तैयार किया है। यह कहानी एक प्रस्थान बिन्दु है। चुनौती देती है कि कहानी का ढाँचा तोड़कर कैसे एक नया ढाँचा तैयार किया जा सकता है।    

—दूधनाथ सिंह

 

देवेन्द्र की कहानी ‘क्षमा करो हे वत्स!’ इत्तेफ़ाक़ ही है कि इस शीर्षक का कभी सॉनेट मैंने लिखा था और बेटे के जन्मदिन पर लिखा था कि ‘क्षमा मत करो वत्स, आ गया दिन ही ऐसा/आँख खोलती कलियाँ भी कहती हैं पैसा।’ वह शीर्षक वहाँ से लिया गया है, इस वजह से नहीं पसन्द है वह। कविता कुछ और कहती है, मेरी व्यथा कुछ और थी। देवेन्द्र की व्यथा उससे बहुत बड़ी व्यथा थी। वह चीज़ छूती है, कहलाती है। वह दर्द है, दु:ख है, लेकिन बड़ा ग़ुस्सा है।

एक दूसरी कहानी ‘शहर कोतवाल की कविता’ है। कहानी को पढ़ने के बाद तिलमिला जाता है जी, कि यह वही कोतवाल है जो आज गुजरात में हैं तो आज गुजरात में, ऐसे ही कोतवाल, इंस्पेक्टर और पुलिस कमिश्नर लोग जो तमाम सत्ता के प्रतीक हैं, प्रतिनिधि हैं।

जब भी कहानी लिखी जाएगी इसी तरह की कहानी गुजरात के दंगे पर लिखी जाएगी। वह दर्द और दु:ख जहाँ जिन लोगों का है, वह पूरी जमात को जगा देगा, उकसाएगा उसे पीना साँप के समान।   

 —नामवर सिंह

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2019
Edition Year 2019, 1st Ed.
Pages 152P
Publisher Lokbharti Prakashan
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Devendra

Author: Devendra

देवेन्द्र

जन्म : 1 जनवरी 1958; गाजीपुर जनपद के पिपनार गाँव में।

ढेर सारा समय लखीमपुर में अध्यापन और अब लखनऊ में।

प्रकाशन : ‘शहर कोतवाल की कविता’, ‘समय बे-समय’, ‘नालन्‍दा पर गिद्ध’। इसी बीच समकालीन हिन्दी कविता पर आलोचना की एक पुस्तक भी प्रकाशित हुई।

सम्मान : 1996 में प्रकाशित पहले कहानी-संग्रह ‘शहर कोतवाल की कविता’ पर ‘इंदु शर्मा कथा सम्मान’, ‘यशपाल कथा सम्मान’ और सावित्री देवी फाउंडेशन का ‘हिन्दी कथा सम्मान’।

सम्प्रति : गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ में हिन्दी के प्रोफ़ेसर।

सम्पर्क : 569 च/498, प्रेम नगर, आलमबाग़, लखनऊ।

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