Prayojanmoolak Hindi

Linguistics
Author: P. Lata
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Prayojanmoolak Hindi

स्वतंत्र भारत में हिन्दी विविध रूपों में प्रयुक्त होती है। इस पहलू का अध्ययन ‘प्रयोजनमूलक अध्ययन’ कहलाता है! मुम्बइया बाज़ार में ग्राहक दुकानदार से कहता है—“हम को फ्रेश भाजी माँगता है।” यह भी हिन्दी है। स्वास्थ्य-विज्ञान का यह वाक्य भी हिन्दी है—“मानव का रक्तचाप सन्तुलित रखना स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।”

हिन्दी भाषा के ऐसे विविध प्रयोजनों में अब प्रशासन सबसे महत्त्वपूर्ण हो गया है। स्वतंत्र भारत की सरकार ने हिन्दी को राजभाषा का पद दिया तो उसके प्रशासनिक स्वरूप का अध्ययन जोरों से होने लगा। इसी के फलस्वरूप अब प्रकाशन-क्षेत्र में प्रयोजनमूलक हिन्दी पर कई पुस्तकें मिलती हैं। डॉ. लता की यह पुस्तक इस दिशा की नवीनतम रचना है।

लता वर्षों से प्रयोजनमूलक हिन्दी सिखाती रही हैं। अतएव उन्होंने बहुत से प्रामाणिक ग्रन्थों का मनन-मन्थन करके यह नवनीत निकाला है। अनुभवी प्राध्यापिका ने छात्रों की ज़रूरत पहचानकर उनसे न्याय किया है। पुस्तक की भाषा स्पष्ट व सरल है जो तकनीकी लेखन की पहली शर्त है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2006
Edition Year 2022, Ed. 4th
Pages 280p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Editorial Review

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P. Lata

Author: P. Lata

डॉ. पी. लता

शिक्षा : एम.ए. (हिन्‍दी), एम.ए. (मलयालम), एम.फ़‍िल (हिन्‍दी), पीएच.डी. (हिन्‍दी) ।

पूर्व प्रोफ़ेसर और अध्यक्षा, हिन्‍दी विभाग, सरकारी महिला महाविद्यालय, तिरुवनन्‍तपुरम ।

विविध हिन्‍दी पत्रिकाओं में शोध लेख, कहानियाँ (मौलिक और अनूदित), कविताएँ (मौलिक और अनूदित) प्रकाशित।

केरल के प्रथम हिन्‍दी पत्रकार जी. नील्कथान नायर की अप्रकाशित आत्मकथा 'यान जी.एन.' (मलयालम) का हिन्‍दी अनुवाद 'मैं जी.एन.' नाम से 'सग्रथान' पत्रिका में धारावाहिक प्रकाशित।

प्रकाशित प्रमुख कृतियाँ : ‘प्रयोजनमूलक हिन्‍दी’, ‘हिन्‍दी भाषा के विविध रूप’, ‘केरल की हिन्‍दी पत्रकारिता का इतिहास’, ‘व्यावहारिक अनुवाद’ (सहलेखन), ‘नव-संकलन’ (सहलेखन), ‘अभिनव संकलन’ (सहलेखन), ‘हिन्‍दी-मलयालम तुलनात्मक अध्ययन’ (सहलेखन)।

पुरस्कार व सम्मान : ‘केरल हिन्‍दी साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान’, ‘समग्र हिन्‍दी सेवा पुरस्कार’, ‘राष्ट्रीय हिन्‍दी साहित्य सम्मलेन’ आदि से सम्‍मानित।

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