Keral Ke Hindi Sahitya Ka Itihas

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Author: P. Lata
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Keral Ke Hindi Sahitya Ka Itihas
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केरल का प्रथम हिन्‍दी रचनाकार महाराजा स्वाति तिरुनाल राम वर्मा को माना जाता है जिनका जन्म तिरुवितांकूर के राजा मार्तंड वर्मा के राजवंश में सन् 1813 में हुआ था। उनकी रचनाएँ मध्यकालीन हिन्‍दी कवियों की तरह भक्ति-प्रधान गीत थे जिनका संकलन बाद में आकर किया गया। इसके बाद लगातार इस अहिन्दीभाषी राज्य में हिन्‍दी में मौलिक लेखन करनेवाले रचनाकार सक्रि‍य रहे हैं, न सिर्फ़ कविता में बल्कि कहानी, उपन्यास, निबन्‍ध व अन्यान्य विधाओं में भी।

केरल की रचनाकार और विद्वान पी. लता ने अपनी इस पुस्तक में केरल की समूची हिन्‍दी रचनात्मकता का सर्वांगीण इतिहास प्रस्तुत किया है। साथ ही वे उस विचार-यात्रा को भी रेखांकित करती चली हैं जो केरलीय हिन्‍दी लेखकों, कवियों की रचनाओं के सरोकारों की प्रेरणा-शक्ति और पृष्ठभूमि रही।

मौलिक साहित्य के साथ लेखक ने इसमें अनूदित साहित्य का भी क्रमबद्ध विवरण दिया है और साथ ही व्याकरण तथा कोश आदि विषयों पर हुए लेखन को भी समाहित किया है। प्रकाशित पुस्तकों के अलावा उन्होंने पत्र-पत्रिकाओं में छपी रचनाओं और साहित्य की भूमिका लेखन तथा सम्पादकीय लेखन जैसी शाखाओं को भी अपने विश्लेषण का आधार बनाया है और केरलीय हिन्‍दी साहित्य के इतिहास में उनकी अवस्थिति को दर्ज किया है।

डॉ. पी. लता के प्रशंसनीय उद्यम से सम्‍भव हुई यह पुस्तक न सिर्फ़ छात्रों के लिए बल्कि उन हिन्‍दी प्रेमियों के लिए भी अनिवार्यतः पठनीय है जो हिन्‍दी चेतना के अखिल भारतीय विस्तार की संरचना तथा व्याप्ति को जानना चाहते हैं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2016
Edition Year 2016, Ed. 1st
Pages 340P
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2.5
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Editorial Review

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P. Lata

Author: P. Lata

डॉ. पी. लता

शिक्षा : एम.ए. (हिन्‍दी), एम.ए. (मलयालम), एम.फ़‍िल (हिन्‍दी), पीएच.डी. (हिन्‍दी) ।

पूर्व प्रोफ़ेसर और अध्यक्षा, हिन्‍दी विभाग, सरकारी महिला महाविद्यालय, तिरुवनन्‍तपुरम ।

विविध हिन्‍दी पत्रिकाओं में शोध लेख, कहानियाँ (मौलिक और अनूदित), कविताएँ (मौलिक और अनूदित) प्रकाशित।

केरल के प्रथम हिन्‍दी पत्रकार जी. नील्कथान नायर की अप्रकाशित आत्मकथा 'यान जी.एन.' (मलयालम) का हिन्‍दी अनुवाद 'मैं जी.एन.' नाम से 'सग्रथान' पत्रिका में धारावाहिक प्रकाशित।

प्रकाशित प्रमुख कृतियाँ : ‘प्रयोजनमूलक हिन्‍दी’, ‘हिन्‍दी भाषा के विविध रूप’, ‘केरल की हिन्‍दी पत्रकारिता का इतिहास’, ‘व्यावहारिक अनुवाद’ (सहलेखन), ‘नव-संकलन’ (सहलेखन), ‘अभिनव संकलन’ (सहलेखन), ‘हिन्‍दी-मलयालम तुलनात्मक अध्ययन’ (सहलेखन)।

पुरस्कार व सम्मान : ‘केरल हिन्‍दी साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘डॉ. महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान’, ‘समग्र हिन्‍दी सेवा पुरस्कार’, ‘राष्ट्रीय हिन्‍दी साहित्य सम्मलेन’ आदि से सम्‍मानित।

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