Boond Boond Ghazal

Edition: 2022, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Boond Boond Ghazal
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डॉ. विनोद प्रकाश गुप्ता 'शलभ' की ग़ज़लें इन अर्थों में विशिष्ट हैं कि इनका शाइर विस्तृत जीवन-अनुभव के साथ-साथ सूक्ष्म निरीक्षण और विश्लेषणात्मक विवेक से परिपूर्ण है। जहाँ एक तरफ़ वह विविधता के विराटत्व से विचलित न होकर उसमें निर्भीकतापूर्वक वास करते हुए उसी के सार से अपने सृजन को रूप-रंग देने की कला से परिचित है तो दूसरी तरफ़ वह सूक्ष्म से सूक्ष्म तथ्य की परख और उसके सम्पूर्ण सत्य के विभिन्न आयामों को भी उजागर करने में सक्षम है।

‘बूँद-बूँद ग़ज़ल’ के शाइर की मान्यताएँ, मंतव्य और सपने भी ठोस धरातल पर खड़े प्रतीत होते हैं, जहाँ संशय के लिए कोई स्थान नहीं है। वह पूरी पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ अपनी जीवन-दृष्टि का खुलासा करता है, पूरी शक्ति से अपने पक्ष का समर्थन करता है और विपक्ष को ललकारता है। इसी से शाइर का आत्मविश्वास पाठक का आत्मविश्वास बन जाता है।

खरापन इन ग़ज़लों का प्राण है। इस संग्रह के अश’आर समकालीन पीढ़ी के सरोकारों की दूर-दूर तक फैली ज़मीन पर हिरणों की तरह कुलाँचे मारकर आपका ध्यान कभी इस ओर तो कभी उस ओर खींचते हैं। जीवन्तता ‘शलभ’ जी के सम्पूर्ण साहित्य को तरंगित रखती है। इन ग़ज़लों में स्थायी आकर्षण उत्पन्न करने के पर्याप्त तत्त्व उपलब्ध हैं और इसी कारण पाठक अश’आर से जुड़ जाता है और जुड़ा रहता है।

‘शलभ’ जी की शब्दावली और संवेदनाओं के सूत्र जगह-जगह पाठक को चौंकाते हैं। ग़ज़ल कहने की उनकी शैली में अनोखे शब्दचयन और शब्दक्रम महती भूमिका निभाते हैं। उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे ग़ज़ल में नए प्रयोग करने से नहीं हिचकते।

‘शलभ’ जी के पहले ग़ज़ल-संग्रह ‘आओ नई सहर का नया शम्स रोक लें’ की तरह ही यह संग्रह भी अपने उल्लेखनीय और विशिष्ट योगदान के लिए प्रस्तुत है।

—विजय कुमार स्वर्णकार

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2022
Edition Year 2022, Ed. 1st
Pages 160p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 1.5
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Dr. Vinod Prakash Gupta 'Shalabh'

Author: Dr. Vinod Prakash Gupta 'Shalabh'

डॉ. विनोद प्रकाश गुप्ता 'शलभ

भारतीय प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्त अधिकारी डॉ. विनोद प्रकाश गुप्ता ‘शलभ’ का जन्म 17 अप्रैल, 1949 को नाहन, ज़िला सिरमौर, हिमाचल प्रदेश में हुआ। आपने अर्थशास्त्र में पी-एच.डी. करने के अलावा क़ानून, गांधी दर्शन, मानवाधिकार और पत्रकारिता में भी डिग्रियाँ और डिप्लोमा अर्जित की हैं।

आपकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—‘चारों दिशाएँ’ (कविता-संग्रह); ‘आओ नई सहर का नया शम्स रोक लें’, ‘बूँद बूँद ग़ज़ल’ (ग़ज़ल-संग्रह)।

आपने अशोक महापात्रा के अंग्रेज़ी काव्य-संग्रह ‘माई आफ़्टरनून पोयम्ज़’ का हिन्दी में ‘उत्तरार्द्ध’ शीर्षक से अनुवाद भी किया है।

हिन्दी और अंग्रेज़ी की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं।

उल्लेखनीय साहित्य-सृजन के लिए आपको ‘गायत्री शिरोमणि सम्मान’, ‘सोपान साहित्यिक सम्मान’ और ‘अनुबन्ध साहित्य भूषण सम्मान’ समेत कई सम्मान और पुरस्कार प्रदान किए जा चुके हैं। ‘नारायणी’ साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली और रचनाकार संस्था, कोलकाता सहित कई संस्थाएँ आपको सम्मानित कर चुकी हैं।

आप अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, फ्रांस, इटली, स्विट्ज़रलैंड, बेल्जियम, मलेशिया, सिंगापुर, न्यूज़ीलैंड, आस्ट्रेलिया और श्रीलंका सहित कई देशों की यात्राएँ कर चुके हैं।

सम्प्रति : आप नवल प्रयास शिमला, साहित्यिक संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष; डी.ए.वी. संस्था, दिल्ली की प्रबन्धन समिति के निर्वाचित सदस्य तथा इंस्टिट्यूट ऑफ़ ह्यूमन राइट्स, दिल्ली में विज़िटिंग प्रोफ़ेसर हैं।

सम्पर्क : vinjisha55@yahoo.co.in

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