Patrakarita Mein Anuwad

Editor: Ramsharan Joshi
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Patrakarita Mein Anuwad
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अनुवाद की बात आते ही हमें दो भाषाओं का परिदृश्य ध्यान में आता है। अनुवाद की ज़रूरत केवल दो भाषाओं के सन्दर्भ में ही होऐसा ज़रूरी नहीं है। अनुवाद के कई ऐसे आयाम होते हैं जिन पर हम आम तौर पर ग़ौर नहीं करते। दो विरोधी दर्शन और विचार रखनेवालों के बीच संवाद के लिए भी अनुवाद की ज़रूरत होती है। अनुवाद के ऐसे ग़ैर-पारम्परिक अर्थ और प्रसंग को छोड़ भी देंतो भी पत्रकारिता के क्षेत्र में अनुवाद का अहम स्थान है।

हिन्दी के प्रति प्रेमराष्ट्र-गौरव की भावनाआत्म-सम्मान जैसे सराहनीय और वांछनीय आदर्शों के सशक्त हिमायती होने के बावजूद इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अख़बारों द्वारा अन्तरराष्ट्रीय परिदृश्य के निरन्तरअद्यतन और सही ढंग से अंकन के लिए अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद की ज़रूरत अभी भी बरकरार है। अनुवाद की कला कठिन है क्योंकि दो भिन्न भाषाओं की अभिव्यक्ति शैली भी भिन्न होती है। हर भाषा का एक अपना चरित्र होता है और उस चरित्र के कारण भाषा की शैली की विशिष्टता होती है। विद्वान लेखकों द्वारा तैयार इस पुस्तक के ज़रिए इस कला को विस्तार देने और सँवारने की कोशिश की गई है। पत्रकारिता से जुड़े हर व्यक्ति के लिए यह उपयोगी पुस्तक है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 1991
Edition Year 2016, Ed. 3rd
Pages 108p
Translator Not Selected
Editor Ramsharan Joshi
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.2
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Priyadarshan

Author: Priyadarshan

प्रियदर्शन

प्रियदर्शन का जन्म 24 जून, 1968 को राँची में हुआ। आपने अॅंग्रेज़ी में राँची विश्वविद्यालय से एम.ए. की पढ़ाई करने के बाद उसी शहर से पत्रकारिता की शुरुआत की।

आपकी प्रकाशित पुस्तकें हैं : ‘ज़िन्दगी लाइव’ (उपन्यास); ‘बारिश, धुआँ और दोस्त’, ‘उसके हिस्से का जादू’ (कहानी-संग्रह); ‘नष्ट कुछ भी नहीं होता’ (कविता-संग्रह) सहित नौ किताबें प्रकाशित। कविता-संग्रह मराठी में और उपन्यास अंग्रेज़ी में अनूदित। सलमान रुश्दी और अरुंधति‍ रॉय की कृतियों सहित सात किताबों का अनुवाद और तीन किताबों का सम्पादन। विविध राजनैतिक-सामाजिक-सांस्कृतिक विषयों पर तीन दशक से नियमित विविधतापूर्ण लेखन और हिन्दी की सभी महत्त्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन।

सम्मान : कहानी के लिए पहला 'स्पन्दन सम्मान'।

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