Olesya Tatha Anya Kahaniyan

Translator: Nirmal Verma
Edition: 2024, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Olesya Tatha Anya Kahaniyan
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तोल्स्तोय, गोर्की और चेख़ॅव की ही तरह रूसी समाज और बृहत्तर मानवीय नियति के द्रष्टा लेखक कुप्रिन की इन कहानियों में उनके समय की अनेक ऐसी स्थितियों के विवरण हैं जिनकी भयावहता स्तब्ध कर देती है। वस्तुत: ये कहानियाँ मानवीय जीवन को क्षत करने वाले विचारों और परि​स्थितियों के विरुद्ध खड़ी ऐसी रचनाएँ हैं जिन्हें एक बार पढ़ लेने के बाद भुलाना मुमकिन नहीं है।

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2024
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 272p
Translator Nirmal Verma
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21 X 13.5 X 2
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Aleksandr Kuprin

Author: Aleksandr Kuprin

अलेक्सांद्र कुप्रिन

अलेक्सांद्र कुप्रिन (1870-1938) का जन्म रूस में हुआ था। साधारण लोगों ​का जीवन उनकी रचनाओं के केन्द्र में है। तोल्स्तोय ने उन्हें चेख़ॅव का उत्तराधिकारी घोषित किया था। उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में ‘मलोच’, ‘ओलेस्या’, ‘रत्न-कंगन’ आदि हैं। सन् 1919 में बोल्शेविक क्रान्ति के दौरान वे देश छोड़कर फ्रांस चले गए और अगले 17 साल वहीं रहे। 1937 में, अपनी मृत्यु से केवल एक वर्ष पहले, वह रूस वापस लौटे। आज कुप्रिन रूस के सबसे अधिक पढ़े जाने वाले लेखकों में से हैं।

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