Neend Ka Rang

Author: Sara Shagufta
Translator: Arjumand Ara
Edition: 2022, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Neend Ka Rang
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मैंने आसमान से एक तारा टूटते हुए देखा है। बहुत तेज़ी से आसमान के ज़हन में एक जलती हुई लकीर खींचता हुआ... जो तारा मैंने टूटता हुआ देखा उसका भी एक नाम था : सारा शगुफ़्ता। उस तारे के टूटते वक़्त आसमान के ज़हन में जो लम्बी और जलती हुई लकीर खिंच गई थी वह लकीर सारा शगुफ़्ता की नज़्म थी।

—अमृता प्रीतम, ‘एक थी सारा’ से

जहाँ तक सारा शगुफ़्ता के अनुभवों की बात है, तो मेरे नज़दीक उनमें सब से ऊँचा उसका प्रतिरोध का स्वर है। यह वह औरत है जिसे बचपन में भावनात्मक और शारीरिक स्तर पर प्रताड़ित किया गया, चार मर्दों ने तलाक़ दी, बच्चों ने छोड़ दिया, मुशायरा सर्किल ने बहिष्कृत किया, लेकिन यही वह औरत भी है जिसने इन हालात के सामने चुप रहने से इंकार कर दिया। अगर उसकी काव्य-शैली की बात की जाए, तो वह उर्दू-फ़ॉर्मलिज़्म के बर्तन को उठाकर खिड़की के बाहर फेंक देती है—शगुफ़्ता आज़ाद नज़्म के स्वरूप को तोड़ती-फोड़ती है, तहस-नहस कर डालती है, और नए सिरे से नए साँचे में ढालती है।

—असद अलवी, अनुवादक और समालोचक

सारा शगुफ़्ता की पहुँच उन हक़ीक़तों तक है जिन तक हमारे नस्री शायरी (गद्य कविता) लिखने वाले शायर कभी नहीं पहुँच सके। वह आला सतह की प्रतिभा की मालिक है। इन्सान के ज़हन का जैसा बोध उसे हासिल हुआ है वह हम में से किसी को हासिल नहीं। 

—क़मर जमील, मशहूर शायर

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Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2022
Edition Year 2022, Ed. 1st
Pages 158p
Translator Arjumand Ara
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 19.5 X 12.5 X 1
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Author: Sara Shagufta

सारा शगुफ़्ता

सारा शगुफ़्ता का जन्म 31 अक्तूबर, 1954 को पाकिस्तान के गुजराँवाला में हुआ। पाकिस्तान के उत्तर-आधुनिक उर्दू शायरों में उनका विशिष्ट स्थान है। अपने व्यथापूर्ण जीवन को आधार बनाकर गद्य शैली में इक़बालिया नज़्में लिखने में वे अपनी मिसाल आप रही हैं। निजी जीवन में बार-बार मिले आघातों से विचलित होकर उन्होंने 4 जून, 1984 को कराची में रेल से कटकर आत्महत्या कर ली, जिसके बाद उनके मित्रों ने उनकी नज़्मों को इकट्ठा कर 1985 मेंआँखें’ शीर्षक से छपवाया। यह उनकी नज़्मों का पहला संग्रह था। बाद के वर्षों में उनकी और भी 

बहुत-सी नज़्में मिलीं जिन्हें इकट्ठा कर 1993 मेंनींद का रंगशीर्षक से छापा गया। एक दक़ियानूसी समाज के अन्यायों का शिकार बनी सारा की शायरी को उनकी मौत के बाद व्यापक तौर पर सराहना मिली। उनकी मित्र और सुप्रसिद्ध लेखक अमृता प्रीतम ने जब उनकी जीवनी एक थी सारा लिखी तो भारत के साहित्यिक दायरे में भी सारा को लेकर दिलचस्पी बढ़ी, उनके जीवन पर आधारित कई नाटक लिखे और मंचित किए गए।

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