JavaScript seems to be disabled in your browser. For the best experience on our site, be sure to turn on Javascript in your browser.
Author: Sara Shagufta
सारा शगुफ़्ता
सारा शगुफ़्ता का जन्म 31 अक्तूबर, 1954 को पाकिस्तान के गुजराँवाला में हुआ। पाकिस्तान के उत्तर-आधुनिक उर्दू शायरों में उनका विशिष्ट स्थान है। अपने व्यथापूर्ण जीवन को आधार बनाकर गद्य शैली में इक़बालिया नज़्में लिखने में वे अपनी मिसाल आप रही हैं। निजी जीवन में बार-बार मिले आघातों से विचलित होकर उन्होंने 4 जून, 1984 को कराची में रेल से कटकर आत्महत्या कर ली, जिसके बाद उनके मित्रों ने उनकी नज़्मों को इकट्ठा कर 1985 में ‘आँखें’ शीर्षक से छपवाया। यह उनकी नज़्मों का पहला संग्रह था। बाद के वर्षों में उनकी और भी
बहुत-सी नज़्में मिलीं जिन्हें इकट्ठा कर 1993 में ‘नींद का रंग’ शीर्षक से छापा गया। एक दक़ियानूसी समाज के अन्यायों का शिकार बनी सारा की शायरी को उनकी मौत के बाद व्यापक तौर पर सराहना मिली। उनकी मित्र और सुप्रसिद्ध लेखक अमृता प्रीतम ने जब उनकी जीवनी एक थी सारा लिखी तो भारत के साहित्यिक दायरे में भी सारा को लेकर दिलचस्पी बढ़ी, उनके जीवन पर आधारित कई नाटक लिखे और मंचित किए गए।